क्या आपने कभी अदृश्य महसूस किया है? भीड़ में होते हुए भी अकेला? माया हर रोज़ यही महसूस करती थी। वह एक ऐसी लड़की थी जिसका होना न होने के बराबर था।
एक दिन, उसे एक प्राचीन इत्र की शीशी मिली। एक ऐसी शीशी जो सिर्फ खुशबू नहीं, बल्कि किस्मत बदलने का वादा करती थी। और किस्मत बदली भी…
उसे शोहरत मिली, कामयाबी मिली, लोगों की नज़रें उस पर टिकने लगीं। लेकिन इस जादू की एक भयानक कीमत थी। वो इत्र उसकी खूबसूरती नहीं, बल्कि उसकी ज़िंदगी पी रहा था।
यह कहानी है माया की, उस जादुई इत्र की, और एक ऐसी रात की जब उसे अपनी आत्मा को बचाने के लिए एक कैद रूह से लड़ना पड़ा। एक ऐसी लड़ाई, जहाँ दाँव पर सिर्फ उसकी ज़िंदगी नहीं, बल्कि उसका वजूद था।
चलिए पढ़ते है एक दिल दहला देने वाली कहानी –
वो इत्र
माया को हमेशा लगता था कि वह अदृश्य है। वह किसी कमरे में दाखिल होती और किसी को पता भी नहीं चलता। ऑफिस में उसके आइडिया दूसरे चुरा लेते, दोस्त अपनी योजनाओं में उसे शामिल करना भूल जाते। वह थी, पर जैसे थी ही नहीं।
एक शाम, दिल्ली के किसी पुराने, संकरे बाज़ार में घूमते हुए, उसकी नज़र एक छोटी सी, धूल भरी दुकान पर पड़ी। दुकान का नाम था “प्राचीन सुगंध”। अंदर अँधेरा था और हवा में लोबान और पुरानी लकड़ी की गंध थी। वहीं एक कोने में, एक नक्काशीदार, खूबसूरत शीशी रखी थी। वह शीशी किसी इत्र की थी, उसका कांच इंद्रधनुष की तरह चमक रहा था और उसका ढक्कन चांदी का बना था, जिस पर एक सोई हुई औरत का चेहरा खुदा था।
उसने दुकानदार से कीमत पूछी। बूढ़े, थके हुए दिखने वाले दुकानदार ने उसे घूरकर देखा। उसकी आँखों में सहानुभूति और डर का मिला-जुला भाव था। उसने कहा, “ये बिकाऊ नहीं है… पर तुम इसे ले जा सकती हो। बस एक बात याद रखना, जो खुशबू यह देती है, वह मुफ्त नहीं आती। यह तुम्हारी ज़िंदगी से अपनी कीमत वसूलती है।”
माया ने इसे एक बूढ़े आदमी की पहेली समझकर शीशी ले ली। उस रात, उसने बस एक बूँद इत्र अपनी कलाई पर लगाया। उसकी खुशबू अजीब थी – चमेली और रात की रानी जैसी, पर साथ में कुछ और भी था, कुछ नशीला, कुछ ऐसा जो दिमाग पर कब्ज़ा कर ले।
अगले दिन से उसकी ज़िंदगी एक जादू की तरह बदल गई। ऑफिस में बॉस ने उसके काम की तारीफ की, सालों से बात न करने वाले दोस्त ने उसे कॉफी के लिए पूछा, हर कोई उसकी तरफ आकर्षित हो रहा था। वह खुश थी। पहली बार उसे महसूस हुआ कि उसका भी कोई वजूद है।
लेकिन हफ्तों बाद, उसे सच्चाई का एहसास होने लगा। लोग उसे नहीं, बल्कि उसके पास से आने वाली उस रहस्यमयी खुशबू को चाहते थे। उसे रात में अजीब सपने आने लगे। वह सपने में एक बेहद खूबसूरत औरत को देखती, जो उसी शीशी के अंदर कैद थी और उसे देखकर मुस्कुराती थी।
असली खौफ तब शुरू हुआ जब उसने देखा कि शीशी में इत्र का स्तर कम हो रहा है। और जैसे-जैसे इत्र कम हो रहा था, माया की अपनी ऊर्जा और खूबसूरती भी फीकी पड़ रही थी। उसकी त्वचा रूखी होने लगी, उसकी आँखों के नीचे काले घेरे पड़ गए, और कभी-कभी आईने में उसे अपनी परछाई के पीछे एक और बूढ़ी, थकी हुई औरत की परछाई दिखती।
उसे दुकानदार की बात याद आई—”कीमत भी वसूलती है।” उसे समझ आ गया कि उस इत्र में कोई शक्तिशाली आत्मा या जिन्न कैद है, जो उसे सफलता और आकर्षण देने के बदले में उसकी जवानी और ज़िंदगी सोख रही है।
डर के मारे, उसने शीशी को तोड़ने की कोशिश की, पर शीशी पर एक खरोंच तक नहीं आई। उसने उसे नदी में फेंक दिया, लेकिन अगली सुबह वह उसके बिस्तर पर वापस रखी थी। वह अब उस शीशी की कैदी बन चुकी थी।
निराश होकर, वह उसी पुराने बाज़ार में उस दुकानदार को ढूंढने गई। दुकानदार वहीं था, जैसे उसी का इंतज़ार कर रहा हो।
“मुझे पता था तुम आओगी,” उसने शांति से कहा। “उस शीशी में एक ‘इत्र-परी’ कैद है। वह अपनी आज़ादी के बदले में पहनने वाले की ज़िंदगी सोख लेती है। जब शीशी खाली हो जाएगी, तो वह आज़ाद हो जाएगी और तुम उसकी जगह उस शीशी में हमेशा के लिए कैद हो जाओगी।”
“कोई रास्ता नहीं है?” माया ने रोते हुए पूछा।
दुकानदार ने एक गहरी साँस ली। “एक रास्ता है, पर बहुत खतरनाक है। अमावस्या की रात, जब उसकी शक्ति सबसे कम होती है, तुम्हें उसका सामना करना होगा। तुम्हें उसे अपनी इच्छाशक्ति से हराना होगा। तुम्हें उसे यह यकीन दिलाना होगा कि तुम्हारी ज़िंदगी और तुम्हारी पहचान उस झूठी खुशबू से ज़्यादा कीमती है।”
दुकानदार ने उसे एक छोटा सा चाँदी का ताबीज़ दिया। “यह तुम्हारी रक्षा करेगा, पर लड़ाई तुम्हें खुद लड़नी होगी।”
अमावस्या की रात आई। शीशी में इत्र की बस आखिरी बूँद बची थी। माया ने ताबीज़ पहना और अपने कमरे में बैठ गई। जैसे ही आखिरी बूँद भाप बनकर उड़ी, कमरे का तापमान गिर गया। शीशी से एक धुंधला, दूधिया प्रकाश निकला और धीरे-धीरे एक खूबसूरत औरत का आकार ले लिया। वह वही औरत थी जो माया के सपनों में आती थी।
“अब तुम मेरी हो,” परी ने एक मीठी लेकिन ठंडी आवाज़ में कहा।
वह माया की तरफ बढ़ी, लेकिन जैसे ही वह पास आई, माया के गले में पड़ा ताबीज़ चमक उठा और परी पीछे हट गई।
“तुम मुझसे नहीं बच सकती,” परी गुर्राई। उसने कमरे की चीज़ों को हवा में उड़ाना शुरू कर दिया। माया की आँखों के सामने उसके सबसे बुरे डर घूमने लगे – अकेलापन, असफलता, अदृश्य हो जाने का डर।
“तुम्हें मेरी ज़रूरत है, माया,” परी ने फुसफुसाया। “मेरे बिना तुम कुछ भी नहीं हो। वही अदृश्य लड़की।”
यह सुनकर माया के अंदर कुछ टूट गया। उसने अपनी आँखें बंद कीं और अपनी सारी इच्छाशक्ति को इकट्ठा किया। “नहीं!” वह चिल्लाई। “मैं तुमसे ज़्यादा हूँ! मेरी पहचान तुम्हारी दी हुई झूठी चमक की मोहताज नहीं है। मैं माया हूँ, और मैं अपनी ज़िंदगी वापस चाहती हूँ!”
उसके चिल्लाते ही, ताबीज़ से एक तेज़ सफेद रोशनी निकली और सीधे परी से टकराई। परी दर्द से चीख उठी। उसकी खूबसूरती पिघलने लगी, और उसका असली, भयावह रूप सामने आने लगा।
“मेरी दुनिया में वापस लौट जाओ!” माया ने अपनी पूरी ताकत से कहा।
एक ज़ोरदार धमाका हुआ। जब माया ने अपनी आँखें खोलीं, तो कमरा शांत था। इत्र की शीशी ज़मीन पर पड़ी थी, लेकिन अब वह इंद्रधनुषी नहीं, बल्कि एक साधारण, काले पत्थर जैसी लग रही थी। उसका ढक्कन खुला था, और वह हमेशा के लिए खाली हो चुकी थी।
माया ने आईने में देखा। उसकी त्वचा पर झुर्रियाँ थीं, आँखें धँसी हुई थीं, पर सालों बाद, उसे आईने में असली ‘माया’ दिखी। वह कमज़ोर थी, पर आज़ाद थी।
उसने उस काली शीशी को उठाया और उसे हमेशा के लिए एक संदूक में बंद कर दिया। अगले दिन, जब वह ऑफिस गई, तो किसी ने उसे ख़ास तवज्जो नहीं दी। वह फिर से लगभग अदृश्य थी।
लेकिन इस बार, उसे कोई फर्क नहीं पड़ा। क्योंकि अब वह जानती थी कि उसकी असली कीमत किसी इत्र की मोहताज नहीं। उसने अपनी पहचान वापस जीत ली थी, और यह किसी भी झूठी चमक से कहीं ज़्यादा कीमती थी।
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पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, और दिल से एक कहानीकार हैं। अपने बच्चों को बचपन की कहानियाँ सुनाते हुए, उन्हें एहसास हुआ कि इन सरल कहानियों में जीवन के कितने गहरे सबक छिपे हैं। लेखन उनका शौक है, और KisseKahani.in के माध्यम से वे उन नैतिक और सदाबहार कहानियों को फिर से जीवंत करना चाहते हैं जो उन्होंने अपने बड़ों से सुनी थीं। उनका मानना है कि एक अच्छी कहानी वह सबसे अच्छा उपहार है जो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को दे सकते हैं।