एक टेक कंपनी के सीईओ की हत्या एक ऑनलाइन वीडियो मीटिंग के दौरान होती है। मीटिंग में मौजूद पाँच लोग, जो दुनिया के अलग-अलग कोनों में बैठे हैं, सब के सब संदिग्ध हैं। जासूस को हत्या के डिजिटल सुरागों को खंगालना है – वीडियो फुटेज में छिपे इशारे, चैट लॉग्स और बैकग्राउंड में दिखने वाली हर छोटी-बड़ी चीज़। उसे यह पता लगाना है कि इन पाँचों में से किसने इस “परफेक्ट क्राइम” को अंजाम दिया।
आखिरी वीडियो कॉल
विक्रम सिन्हा एक अनुभवी और पारंपरिक सोच वाला जासूस है, जो लोगों के हाव-भाव, उनके झूठ और उनकी आँखों में छिपे राज़ को पढ़कर केस सुलझाता है। वह technology के मामले में थोड़ा अनाड़ी है और स्मार्टफोन या लैपटॉप का इस्तेमाल भी मुश्किल से करता है। इस हत्या के मामले में, उसे पूरी तरह से डिजिटल दुनिया पर निर्भर रहना होगा, जो उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

अब, हम कहानी की शुरुआत करते हैं।
शीर्षक: “ऑनलाइन वीडियो कॉल”
अध्याय 1: द लास्ट कॉल
विक्रम सिन्हा के लिए यह दिन एक आम दिन जैसा ही था। सुबह के दस बजे थे और वह थाने में बैठकर अपनी चाय की चुस्की ले रहा था। तभी उसके सामने एक कॉन्स्टेबल भागा-भागा आया। “सर! बहुत बड़ा मामला है।” कॉन्स्टेबल ने हँफते हुए कहा, “TechWiz के सीईओ, विपुल शर्मा की हत्या हो गई है।” विक्रम ने अपनी मूँछें सहलाईं। “TechWiz? वो जो मोबाइल वाला ऐप बनाता है?” कॉन्स्टेबल ने कहा, “हाँ सर, और सबसे अजीब बात यह है कि हत्या एक लाइव वीडियो कॉल के दौरान हुई।” विक्रम की भौंहें तन गईं। वह उठ खड़ा हुआ। “चलो, देखते हैं यह कौन सी नई ‘टेक्नोलॉजी’ है।”
कुछ ही देर में विक्रम उस आलीशान बंगले के लिविंग रूम में था, जहाँ कीमती फर्नीचर और महंगी कलाकृतियाँ बिखरी हुई थीं। बंगले के मालिक, विपुल शर्मा, एक विशाल स्क्रीन के सामने अपनी कुर्सी पर मृत पड़े थे। उनके सीने में एक धारदार चाकू घुसा हुआ था, और उनके चेहरे पर हैरानी के भाव जमे हुए थे।
स्क्रीन पर पाँच लोगों की तस्वीरें जमी हुई थीं, जो अब भी वीडियो कॉल में थे। वे सभी विपुल की कंपनी के बड़े अधिकारी थे:
- रोहन: (CTO) जो एक तकनीकी जीनियस था, लेकिन हमेशा विपुल के फैसलों से असहमत रहता था।
- प्रिया: (CFO) जिसके साथ विपुल का हाल ही में एक बड़े आर्थिक घोटाले पर झगड़ा हुआ था।
- अंकित: (COO) जो हमेशा से सीईओ की कुर्सी पर नज़र गड़ाए था।
- दिया: (मार्केटिंग हेड) जिसने हाल ही में एक पर्सनल मसले पर इस्तीफा देने की धमकी दी थी।
- गौरव: (प्रतिद्वंद्वी कंपनी का प्रतिनिधि) जो एक तनावपूर्ण डील के लिए विपुल से मिला था।
विक्रम ने अपने सहायक से कहा, “इन सब से पूछो कि वीडियो कॉल में क्या हुआ था।” “सर, वे सब दुनिया के अलग-अलग देशों में हैं,” सहायक ने जवाब दिया। “हमें उनके बयान सिर्फ़ ऑनलाइन मिल सकते हैं।” विक्रम ने गहरी साँस ली। यह केस उसके लिए सबसे मुश्किल होने वाला था। हत्यारा उन्हीं पाँच लोगों में से एक था, जो वहाँ मौजूद भी नहीं थे।
अध्याय 2: सुराग और संदेह
अगले कुछ घंटों में, इंस्पेक्टर विक्रम सिन्हा के लिए दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी थी। जहाँ वह लोगों के चेहरे और हाव-भाव से सच पढ़ता था, वहीं अब उसे पिक्सेल और आवाज़ की रिकॉर्डिंग पर भरोसा करना था। उसने क्राइम सीन के फॉरेंसिक टीम से बात की। चाकू पर कोई उंगलियों के निशान नहीं थे, और बंगले का सिक्योरिटी सिस्टम बंद था। हत्यारे ने अंदर आने का कोई निशान नहीं छोड़ा था।
विक्रम ने अपने सहायक, मनोज, से सभी संदिग्धों के वीडियो कॉल रिकॉर्डिंग और उनके बयान मंगवाए। मनोज ने हर एक वीडियो को बार-बार देखा।
सबसे पहले रोहन, CTO, का बयान था। वह सिंगापुर में था और कह रहा था कि मीटिंग में सब कुछ सामान्य था, लेकिन विपुल कुछ अजीब सा लग रहा था। विक्रम ने देखा कि रोहन की आँखों में एक अजीब सी बेचैनी थी, जो वह छिपाने की कोशिश कर रहा था।
अगली थी प्रिया, CFO, जो लंदन में थी। वह गुस्से में थी और उसने खुले तौर पर स्वीकार किया कि उसका विपुल से आर्थिक मुद्दों पर झगड़ा हुआ था, लेकिन उसने कहा कि वह उसे मारने के लिए इतनी दूर से नहीं आ सकती।
फिर था अंकित, COO, जो कैलिफ़ोर्निया में था। उसने शांत और संयमित लहजे में बात की, जैसे वह सब कुछ नियंत्रित कर रहा हो। उसने बताया कि वह सीईओ की पोस्ट के लिए तैयार था, लेकिन हत्या करने की ज़रूरत नहीं थी।
दिया, मार्केटिंग हेड, दुबई में थी और उसने अपना बयान देते हुए बहुत रोना शुरू कर दिया। उसने कहा कि वह विपुल के साथ एक रिश्ते में थी, और वह हाल ही में किसी और के साथ शादी करने की योजना बना रहा था। उसने दावा किया कि उसे पता भी नहीं था कि वह मर चुका है।
आखिरी था गौरव, जो प्रतिद्वंद्वी कंपनी का प्रतिनिधि था और पेरिस में था। उसने कहा कि उनकी डील बहुत तनावपूर्ण थी, लेकिन उसने हत्या से इनकार किया।
विक्रम ने लैपटॉप को बंद किया और गहरी सोच में डूब गया। कोई भी वहाँ मौजूद नहीं था, और सबके पास एक कारण था। यह एक परफेक्ट क्राइम जैसा लग रहा था। तभी उसकी नज़र क्राइम सीन की तस्वीरों पर पड़ी। विपुल की मेज पर एक गिलास में थोड़ा पानी था। यह पानी किसने दिया?
विक्रम को याद आया कि फॉरेंसिक टीम ने मेज पर कुछ बाल मिलने की बात कही थी, लेकिन वे किसी भी संदिग्ध से मेल नहीं खा रहे थे। विक्रम ने अपने पुराने तरीकों पर भरोसा किया। उसने मनोज से कहा, “हर वीडियो कॉल को फिर से चलाओ और हर एक की आवाज़ का विश्लेषण करो। खासकर जब विपुल मरा।”
अध्याय 3: डिजिटल सुराग
मनोज ने हर वीडियो में उस पल को देखा जब विपुल की मौत हुई थी। सभी की प्रतिक्रियाएँ सदमे से भरी थीं। लेकिन एक चीज़ ने विक्रम का ध्यान खींचा।
जब चाकू विपुल के सीने में घुसा, तो एक पल के लिए एक हल्की-सी परछाई स्क्रीन पर दिखाई दी। यह परछाई एक बड़े, गोल सिर वाले व्यक्ति की थी। विक्रम ने उस परछाई को गौर से देखा और उसे कुछ ऐसा दिखा जो मनोज और अन्य लोगों ने मिस कर दिया था। उस परछाई के साथ-साथ एक छोटा सा, सफ़ेद रंग का निशान भी था, जो चाकू से निकला था।
विक्रम ने मनोज से तुरंत उस निशान का विश्लेषण करने को कहा। पता चला कि वह निशान किसी विशेष ब्रांड के सफ़ेद रंग के पेंट का था।
विक्रम ने तुरंत दिया को वीडियो कॉल पर बुलाया। “दिया, क्या तुम पेंटिंग करती हो?” दिया घबरा गई। “हाँ, कभी-कभी।” “वह पेंटिंग कहाँ है?” विक्रम ने पूछा। दिया ने बहाने बनाने की कोशिश की, लेकिन विक्रम ने उसे धमकी दी कि वह उसके घर वारंट भेजेगा। दिया ने एक पेंटिंग की तस्वीर भेजी जिसमें ठीक उसी तरह के पेंट का इस्तेमाल हुआ था।
अध्याय 4: अंतिम खुलासा
विक्रम ने तुरंत सभी पाँचों संदिग्धों को एक इमरजेंसी वीडियो कॉल पर बुलाया। “आप पाँचों में से, एक हत्यारा है,” विक्रम ने अपनी आवाज़ को शांत रखते हुए कहा।
सभी ने इनकार किया। “सबसे पहले, मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि हत्या कैसे हुई,” विक्रम ने कहा। उसने एक वीडियो चलाया जिसमें वह दिखा रहा था कि कोई भी व्यक्ति वीडियो कॉल में मौजूद व्यक्ति के कमरे में घुसकर उसे मार सकता है, बशर्ते कि उसे यह पता हो कि कैमरा कहाँ है।
विक्रम ने कहा, “जब विपुल मरा, तो कैमरा उसके पीछे लगा था। हत्यारा उसी कमरे में था।” सभी ने हैरानी से एक-दूसरे की तरफ़ देखा। “रोहन, तुम हमेशा विपुल के फ़ैसलों से असहमत थे। प्रिया, तुमने एक बड़े घोटाले के कारण उसे जान से मारने की धमकी दी। अंकित, तुम्हें उसकी कुर्सी चाहिए थी। दिया, तुम्हारी उससे एक पर्सनल दुश्मनी थी। और गौरव, तुम उसकी कंपनी चाहते थे।”
सभी ने अपने-अपने बचाव में कुछ कहा।
विक्रम ने दिया की तरफ़ देखा। “दिया, तुम्हें लगता है कि तुम बहुत चालाक हो। तुमने अपने घर से ही हत्या की, है ना?” दिया ने हँसते हुए कहा, “विक्रम, मैं हजारों मील दूर हूँ।” “हाँ, तुम दूर हो,” विक्रम ने कहा, “लेकिन तुमने यह हत्या नहीं की। तुम सिर्फ़ एक मोहरा थी।” सभी हैरान रह गए। “असल में, हत्यारे ने किसी और के घर से हत्या को अंजाम दिया,” विक्रम ने कहा। “और वह व्यक्ति रोहन था।” सभी हैरान थे। रोहन घबरा गया। “नहीं, मैं तो सिंगापुर में था!”
“नहीं, तुम नहीं थे,” विक्रम ने कहा। “तुमने अपने घर में एक वीपीएन राउटर और एक वेबकैम लगाया था, जिससे यह लगे कि तुम सिंगापुर में हो। तुमने अपने घर का IP address मास्क किया था। लेकिन तुम उस दिन गौरव के घर में थे!” गौरव ने डरकर रोहन की तरफ़ देखा। “तुम दोनों ने एक-दूसरे के घर का इस्तेमाल किया। गौरव उस दिन दिया के घर में था और दिया अंकित के घर में। तुम सब एक-दूसरे की चाल में फंस गए। हर किसी ने सोचा कि वह अकेला है, लेकिन तुम सब एक-दूसरे के मोहरे थे।”
विक्रम ने कहा, “गौरव, तुमने रोहन को अपनी कंपनी बेचने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, और रोहन ने तुम्हारी मदद के लिए विपुल को मार डाला। लेकिन उसने तुम्हें भी फँसाने के लिए वहाँ से तुम्हारे बाल लिए और जानबूझकर मेज पर छोड़ दिए। यह एक ऐसा सुराग था जो किसी भी डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट को नहीं मिल पाता, क्योंकि यह मानवीय था।”
रोहन का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। वह अपनी जगह पर काँपने लगा। विक्रम ने मुस्करा कर अपने सहायक की तरफ़ देखा। “ऑनलाइन हो या ऑफ़लाइन, एक अपराधी हमेशा एक निशान छोड़ देता है।”
पुलिस ने रोहन और गौरव दोनों को गिरफ्तार कर लिया। गौरव ने अपना गुनाह कबूल किया और बताया कि वे दोनों एक-दूसरे को फंसाकर बचने की कोशिश कर रहे थे। दिया, अंकित और प्रिया बेकसूर पाए गए। विक्रम सिन्हा ने केस सुलझा लिया था, लेकिन अब उसे यह मानना पड़ा कि डिजिटल दुनिया की अपनी एक भाषा थी, जिसे सीखने का समय आ गया था।
उस दिन के बाद, उसने एक नया लैपटॉप खरीदा और एक ऑनलाइन कोर्स में दाखिला लिया। वह एक पुरानी सोच वाला जासूस था, लेकिन उसने समय के साथ बदलना सीख लिया था।
विक्रम सिन्हा की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि एक तेज़ दिमाग किसी भी तकनीक से बड़ा हथियार होता है। लेकिन आज की दुनिया में, एक जासूस को पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ आधुनिक तकनीक की भी समझ होनी चाहिए।
अगर इस कहानी ने आपके अंदर भी पहेलियाँ सुलझाने और रहस्यों की तह तक जाने की इच्छा जगाई है, तो यहाँ कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो आपके इस शौक को और भी मज़ेदार बना सकती हैं:
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विक्रम सिन्हा की तरह, अगर आप भी इंसानी मनोविज्ञान और कटौती की कला (Art of Deduction) में माहिर होना चाहते हैं, तो इन महान जासूसी उपन्यासों को ज़रूर पढ़ें।
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यह केस बिना डिजिटल सुरागों के नहीं सुलझ सकता था। यदि आप साइबर दुनिया के रहस्यों को समझना चाहते हैं, तो ये संसाधन आपके काम आ सकते हैं।
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पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, और दिल से एक कहानीकार हैं। अपने बच्चों को बचपन की कहानियाँ सुनाते हुए, उन्हें एहसास हुआ कि इन सरल कहानियों में जीवन के कितने गहरे सबक छिपे हैं। लेखन उनका शौक है, और KisseKahani.in के माध्यम से वे उन नैतिक और सदाबहार कहानियों को फिर से जीवंत करना चाहते हैं जो उन्होंने अपने बड़ों से सुनी थीं। उनका मानना है कि एक अच्छी कहानी वह सबसे अच्छा उपहार है जो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को दे सकते हैं।