क्या हो अगर आपकी पूरी दुनिया एक पल में पलट जाए? क्या हो अगर जिस शख्स को आप सबसे ज़्यादा जानते हैं, वह रातों-रात गायब हो जाए, और उसके बारे में एक अजनबी आपको ऐसे राज़ बताए जो सिर्फ आप दोनों ही जानते हैं?
हमारी नई सस्पेंस-थ्रिलर कहानी ‘द परफेक्ट स्ट्रेंजर’ में, आदित्य की दुनिया तब बिखर जाती है जब उसकी पत्नी राधिका, अपनी शादी की सालगिरह की रात, अचानक बिना किसी निशान के ग़ायब हो जाती है। पुलिस की नाकाम कोशिशों और निराशा के बाद, आदित्य की ज़िन्दगी में एक रहस्यमय अजनबी आता है, जो दावा करता है कि वह राधिका के बारे में सब कुछ जानता है।
यह अजनबी आदित्य को राधिका के ऐसे राज़ बताता है, जो उसके भरोसे को हिलाकर रख देते हैं। हर सुराग के साथ, आदित्य एक ऐसे अँधेरे सफ़र पर निकल पड़ता है, जहाँ सच और झूठ के बीच की लकीर धुँधली हो जाती है। क्या यह अजनबी उसकी मदद कर रहा है, या वह खुद एक शातिर जाल का हिस्सा है? क्या आदित्य अपनी पत्नी को ढूँढ पाएगा, या उसे सिर्फ कड़वे सच का सामना करना पड़ेगा?
‘द परफेक्ट स्ट्रेंजर’ एक ऐसी कहानी है जो आपको हर मोड़ पर चौंकाएगी और सोचने पर मजबूर कर देगी। तो तैयार हो जाइए, रहस्य, झूठ और विश्वासघात के इस भंवर में गोता लगाने के लिए।
द परफेक्ट स्ट्रेंजर
अध्याय 1: खोखला आईना

शाम के सात बज चुके थे। आदित्य ने अपनी गाड़ी से उतरते हुए अपने अपार्टमेंट की सोलहवीं मंज़िल की ओर देखा। उसकी थकी हुई आँखों में आज भी वही चमक थी जो तीन साल पहले राधिका को पहली बार देखते वक़्त थी। आज उनकी शादी की पाँचवीं सालगिरह थी और राधिका ने रात के खाने के लिए एक ख़ास सरप्राइज़ प्लान किया था।
लिफ्ट का दरवाज़ा खुलते ही, एक धीमी, रोमांटिक धुन उसके कानों में पड़ी। हॉल पूरी तरह से अँधेरा था, सिर्फ कुछ खुशबूदार मोमबत्तियों की हल्की रौशनी थी। राधिका हमेशा ऐसे छोटे-छोटे सरप्राइज़ देना पसंद करती थी। आदित्य के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। वह जानता था कि इस अंधेरे के पीछे एक हँसता हुआ चेहरा उसका इंतज़ार कर रहा है।
“राधिका?” उसने प्यार से आवाज़ दी।
कोई जवाब नहीं आया।
अंधेरे में टटोलते हुए उसने लाइट का स्विच दबाया। कमरे में पूरी रौशनी फैलते ही, उसका दिल एक पल के लिए रुक-सा गया।
कमरा वैसा ही था जैसा वह सुबह छोड़कर गया था। कोई मोमबत्ती नहीं, कोई रोमांटिक गाना नहीं। सिर्फ एक खाली और व्यवस्थित कमरा। उसकी नज़र डाइनिंग टेबल पर पड़ी जहाँ दो लोगों के लिए प्लेटें रखी हुई थीं और बीच में राधिका का पसंदीदा गुलाब का फूलदान था। सबकुछ वैसा ही था जैसा राधिका ने वादा किया था। सिवाय राधिका के।
“यह मज़ाक नहीं है, राधिका,” आदित्य ने कहा। उसकी आवाज़ में अब घबराहट थी।
उसने पूरे अपार्टमेंट में राधिका को ढूंढा। बालकनी, बेडरूम, बाथरूम, यहाँ तक कि बालकनी की उस पुरानी कुर्सी के नीचे भी जहाँ राधिका अक्सर अपनी पसंदीदा किताब पढ़ा करती थी। लेकिन वह कहीं नहीं थी।
उसकी मेज़ पर एक छोटी-सी चिट रखी थी, जिस पर राधिका की लिखावट में लिखा था, “डार्लिंग, मैं थोड़ी देर में आती हूँ।”
यह चिट उसकी घबराहट को कम नहीं कर पाई, बल्कि और बढ़ा दिया। राधिका ने अपना फ़ोन, पर्स और चाबियाँ भी घर पर ही छोड़ दी थीं। वह अक्सर बाहर जाते समय अपना फ़ोन साथ रखती थी। उसका यूँ बिना किसी सामान के निकलना, और वो भी अपनी सालगिरह की रात, उसके लिए समझ से परे था।
घंटों इंतज़ार करने के बाद, आधी रात को, आदित्य ने पुलिस को सूचना दी। जब पुलिस आई, तो उनके चेहरे पर वही भाव थे जो हर गुमशुदा व्यक्ति के मामले में होते हैं—उदासीनता और औपचारिकता। एक युवा पुलिस अधिकारी ने आदित्य को दिलासा देते हुए कहा, “शायद आपकी पत्नी कुछ दोस्तों के साथ गई हो। आजकल ऐसा होता है। आप फ़िक्र मत कीजिए।”
अगले दो हफ्ते, हर दिन आदित्य के लिए एक खाली पन्ना था जिस पर कोई कहानी नहीं लिखी जा रही थी। उसने अपनी नौकरी से छुट्टी ले ली और अपनी पूरी ताकत राधिका को खोजने में लगा दी। उसने पुलिस को हर छोटी-बड़ी जानकारी दी, हर कोने में ढूंढा, और हर संभव जगह पर राधिका की तस्वीर के पोस्टर लगाए। लेकिन पुलिस के पास कोई सुराग नहीं था। कोई अपहरण की कॉल नहीं, कोई सबूत नहीं, बस एक रहस्यमयी ढंग से गायब हुई महिला।
एक दिन, जब आदित्य अपनी पुरानी यादों को खंगाल रहा था, तो उसकी नज़र एक पुराने फ़ोटो एल्बम पर पड़ी। उसने उसे उठाया और एक-एक करके पन्ने पलटने लगा। अचानक उसकी नज़र एक पुरानी तस्वीर पर अटक गई। यह उसकी और राधिका की शादी से कुछ दिन पहले की तस्वीर थी। राधिका का चेहरा हँसता हुआ था, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब-सी उदासी थी। आदित्य ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया था। उसे लगा कि वह सिर्फ़ भावुक हो रही थी। लेकिन आज, इस तस्वीर को देखकर उसे पहली बार लगा कि शायद राधिका अपनी ज़िन्दगी में कुछ और भी छिपा रही थी, जो उसे नहीं पता था।
क्या राधिका ने उससे कुछ छिपाया था? क्या राधिका का कोई ऐसा अतीत था जिसके कारण वह अचानक गायब हो गई? इन सवालों ने आदित्य के मन में डर और बेचैनी भर दी।
अध्याय 2: अजनबी का आगमन
राधिका को गायब हुए ठीक तीन हफ्ते हो चुके थे। आदित्य ने अपनी नौकरी से छुट्टी ले ली थी और अब वह हर दिन पुलिस स्टेशन के चक्कर लगा रहा था। हर बार उसे वही उदास करने वाला जवाब मिलता, “माफ कीजिए सर, कोई नया सुराग नहीं मिला है।”
आज वह एक छोटी, शांत कॉफी शॉप में बैठा था। शहर की भाग-दौड़ से दूर, वह कुछ देर शांति से बैठना चाहता था। उसके सामने टेबल पर एक पुरानी फोटो थी, जिसमें राधिका हंस रही थी। उसकी उंगलियाँ उस तस्वीर पर थीं, जैसे वह उसे छूकर महसूस करना चाहता हो।
तभी, उसके सामने की कुर्सी पर एक आदमी आकर बैठ गया। वह साधारण कपड़ों में था, लेकिन उसकी आँखों में एक ऐसी तीक्ष्णता थी जो आदित्य को बेचैन कर गई।
“आप आदित्य हैं, है ना?” आदमी ने एक शांत, लगभग फुसफुसाती हुई आवाज़ में पूछा।
आदित्य ने चौंका। उसने उस आदमी को पहले कभी नहीं देखा था। “आप कौन हैं?”
“मेरा नाम अमित है,” उसने कहा। “और मैं जानता हूँ कि आपकी पत्नी राधिका कहाँ है।”
आदित्य का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। वह अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ। “क्या? आप मज़ाक कर रहे हैं? पुलिस भी कुछ नहीं ढूँढ पा रही है।”
“मैं मज़ाक नहीं कर रहा हूँ,” अमित ने कहा। “राधिका अक्सर घर पर अकेले में गाना गाती थी। उसे एक पुराना गाना पसंद था – ‘तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं’। उसने तुम्हें यह कभी नहीं बताया, है ना?”
आदित्य के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई। यह सच था। राधिका कभी-कभी गुनगुनाती थी। यह एक ऐसा विवरण था जो सिर्फ वे दोनों ही जानते थे।
अमित ने आगे कहा, “उसे अकेले में खाना बनाना पसंद नहीं था। जब तुम काम पर होते थे, तो वह अक्सर अपने पुराने दोस्त करण से मिलने जाती थी। तुम उसे करण के बारे में नहीं जानते, क्योंकि वह उसका कॉलेज फ्रेंड था और उसने तुम्हें बताया था कि वह शहर से बाहर है।”
आदित्य का माथा घूम गया। करण? उसने इस नाम के बारे में कभी नहीं सुना था। क्या राधिका का कोई ऐसा अतीत था जिसके बारे में वह नहीं जानता था?
“तुम… तुम यह सब कैसे जानते हो?” आदित्य ने घबराहट में पूछा।
“मैं राधिका को जानता था। बहुत अच्छे से,” अमित ने कहा। “वह एक कलाकार थी। लेकिन उसने अपनी कला को तुमसे छिपा कर रखा। उसका एक स्केचबुक था जिसमें उसने तुम्हारी और अपनी सैकड़ों तस्वीरें बनाई थीं, लेकिन वह कभी तुम्हें नहीं दिखाई।”
आदित्य को याद आया कि राधिका के पास एक काली डायरी थी जिसे वह हमेशा अपने पर्स में रखती थी। उसने कभी उसे देखने की कोशिश नहीं की क्योंकि वह उसकी निजता का सम्मान करता था। क्या वह स्केचबुक वही डायरी थी?
अमित ने एक पुरानी चाबी निकाली और टेबल पर रख दी। “राधिका तुमसे कुछ छिपा रही थी। यह चाबी उसके पुराने स्टूडियो की है, जिसे वह तुमसे छिपा कर रखती थी। अगर तुम सच जानना चाहते हो तो वहाँ जाओ।”
अमित ने पता बताया और बिना किसी और बात के, वह चुपचाप चला गया।
आदित्य दुविधा में था। एक तरफ एक रहस्यमयी अजनबी की बातें, और दूसरी तरफ उसकी अपनी पत्नी पर अटूट विश्वास। लेकिन अमित ने जो बातें बताई थीं, वे उसे झकझोर रही थीं। क्या राधिका सच में कुछ छिपा रही थी? क्या यह सब एक चालाक जाल था? या फिर इस कहानी में एक और किरदार था, जो उसे राधिका के बारे में पूरी सच्चाई बताना चाहता था?
आदित्य की आँखों में एक नई चमक थी – यह निराशा की नहीं, बल्कि एक उद्देश्य की चमक थी। उसने चाबी उठाई और अपनी गाड़ी की ओर भागा।
अध्याय 3: स्टूडियो का रहस्य
अमित द्वारा दिए गए पते पर पहुँचकर आदित्य ने अपनी गाड़ी रोकी। यह शहर के बाहरी इलाके में एक पुरानी, टूटी-फूटी इमारत थी, जो सालों से खाली पड़ी थी। अंदर का माहौल अजीब और डरावना था, जहाँ धूल, मकड़ी के जाले और दीवारों पर काई जमी हुई थी। आदित्य के दिल में डर और उत्सुकता एक साथ उमड़ रही थी। यह सोचना भी मुश्किल था कि राधिका जैसी साफ-सुथरी और कला प्रेमी लड़की ऐसी जगह पर आती होगी।
अमित द्वारा दी गई चाबी को निकालकर उसने ताला खोला और एक पुरानी लकड़ी के दरवाज़े को धक्का दिया।
अंदर का कमरा बिलकुल खाली था, सिवाय एक जगह के। कमरे के बीच में एक पुरानी मेज़ पर एक बड़ी-सी लकड़ी की पेटी रखी थी। उस पेटी पर धूल की मोटी परत जमी हुई थी। आदित्य ने पेटी पर हाथ लगाया, और उस पर से कुछ धूल हटाई। उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं।
उस पेटी पर राधिका का नाम उकेरा हुआ था, साथ में एक दिल का निशान बना था। यह साफ था कि यह पेटी राधिका की थी।
आदित्य ने पेटी खोली। अंदर कुछ तस्वीरें, एक काली डायरी और एक पुरानी डायपीस थी। आदित्य ने पहले तस्वीरें निकाली। ये कुछ पुरानी तस्वीरें थीं, जिनमें राधिका एक अलग ही अंदाज़ में दिख रही थी। वह एक समूह में थी, जिसके सदस्य बहुत ही अजीब और परेशान करने वाले दिख रहे थे। उनकी आँखों में खालीपन था और वे किसी अजीब से पेंटिंग के सामने खड़े थे, जिस पर एक रहस्यमयी चेहरा बना हुआ था। आदित्य को यह देखकर बेचैनी महसूस हुई।
फिर उसकी नज़र काली डायरी पर पड़ी। उसने उसके पन्ने पलटने शुरू किए। ये राधिका की लिखावट में लिखी डायरी थी।
पहले कुछ पन्ने राधिका के कॉलेज के दिनों के थे, जहाँ उसने अपने सपनों और कला के बारे में लिखा था। लेकिन जैसे-जैसे पन्ने आगे बढ़े, कहानी बदलती गई। राधिका एक गुप्त कला समूह का हिस्सा बन गई थी, जिसे ‘द शैडोज़’ कहा जाता था। ये लोग अपनी कला को बेचते नहीं थे, बल्कि इसे किसी दूसरे मकसद से इस्तेमाल करते थे।
डायरी में एक जगह राधिका ने लिखा था, “मेरा मानना है कि कला में शक्ति है। हम इसे लोगों की सोच को प्रभावित करने के लिए उपयोग कर सकते हैं।”
अगले ही पन्ने पर एक और नोट था, “मैंने आज एक ऐसी पेंटिंग बनाई, जिसमें एक आदमी का दिल बना है। और उसने मुझसे कहा कि यह उसका आखरी दिन है। मुझे नहीं पता यह क्या है, लेकिन यह सच है।”
आदित्य की आँखों से आँसू गिरने लगे। वह अब समझ रहा था कि राधिका उससे क्या छिपा रही थी। लेकिन यह क्या था? क्या राधिका ने जाने-अनजाने में किसी खतरनाक दुनिया में कदम रख दिया था?
फिर उसकी नज़र डायरी के आखिरी पन्ने पर पड़ी, जिस पर सिर्फ एक शब्द लिखा था – “माफ़ कर देना।”
अध्याय 4: अतीत के भूखे साये
राधिका की डायरी और उस स्टूडियो में मिले सुराग आदित्य को एक नए सच से रूबरू करा रहे थे। वह अब पुलिस के पास नहीं जा सकता था, क्योंकि वह जानता था कि कोई उसकी बातों पर विश्वास नहीं करेगा। उसकी पूरी दुनिया अब एक अजीबोगरीब जाल में उलझी हुई थी, और वह अकेला था।
उसने डायरी के पन्ने पलटने शुरू किए और पढ़ना शुरू किया। डायरी के अगले पन्ने पर एक पेंटिंग का ज़िक्र था, जिसका नाम था “द शैडोज़”। राधिका ने लिखा था कि यह पेंटिंग उनके समूह के संस्थापक, माधव, ने बनाई थी। डायरी के अनुसार, “माधव एक रहस्यमयी आदमी था। वह कहता था कि हमारी कला हमारे जीवन का एक हिस्सा है, और हमें उसे अपनी आत्मा से भी ज़्यादा प्यार करना चाहिए। लेकिन मुझे उसका काम पसंद नहीं था। उसकी हर पेंटिंग में एक अजीब-सी उदासी और डर था।”
कुछ पन्नों के बाद राधिका ने लिखा, “मैं इस समूह को छोड़ना चाहती थी। लेकिन माधव ने मुझे कहा कि यहाँ से बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं है। जो एक बार इस समूह में आ जाता है, वह जीवन भर के लिए इसका हिस्सा बन जाता है।”
आदित्य का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। वह अमित की बातों को समझने लगा था। राधिका सच में एक खतरनाक दुनिया में फँस गई थी।
तभी उसका फ़ोन बजा। यह अमित था।
“तुमने वह पेटी खोल ली, है ना?” अमित ने शांत आवाज़ में पूछा। “अब तुम सच के और करीब हो। राधिका के गायब होने का राज अब तुम्हारे सामने है।”
“तुम कौन हो?” आदित्य ने गुस्से में पूछा। “और तुम क्यों मेरी मदद कर रहे हो? क्या तुम उस समूह का हिस्सा हो?”
अमित ने हँसते हुए जवाब दिया, “मैं भी उन शैडोज़ में से एक था। लेकिन मैंने उनकी दुनिया को तब छोड़ दिया जब मैंने देखा कि वे किस हद तक जा सकते हैं। मैंने वहाँ से भागने की कोशिश की, और मैं कामयाब रहा। राधिका ने भी ऐसा करने की कोशिश की, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई।”
“तो तुम मेरी मदद क्यों कर रहे हो?” आदित्य ने फिर पूछा।
“क्योंकि मैं तुम्हें बचाना चाहता हूँ। वे लोग जानते हैं कि तुम राधिका की तलाश कर रहे हो, और वे अब तुम्हें भी खत्म कर देंगे। तुम्हें मुझसे मिलना होगा, अगर तुम राधिका को बचाना चाहते हो।”
अमित ने आदित्य को एक पते पर बुलाया। एक पुरानी, सुनसान factory में। आदित्य जानता था कि यह एक जाल हो सकता है, लेकिन उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था। वह जानता था कि अगर उसे राधिका को बचाना है, तो उसे अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ेगी।
अध्याय 5: अंतिम पड़ाव
अमित द्वारा दिए गए पते पर पहुँचकर आदित्य ने अपनी गाड़ी रोकी। यह शहर के बाहरी हिस्से में एक सुनसान factory थी। यहाँ चारों तरफ ख़ामोशी थी, सिर्फ हवा की सरसराहट की आवाज़ आ रही थी। आदित्य ने अपने हाथ में राधिका की डायरी और उस रहस्यमयी चाबी को कसकर पकड़ा हुआ था।
वह धीरे-धीरे दरवाज़े की ओर बढ़ा और उसे धक्का दिया। अंदर का माहौल और भी शांत और डरावना था। तभी उसने एक परछाई को एक दीवार के पीछे से निकलते हुए देखा। वह अमित था।
“तुम आ गए,” अमित ने मुस्कुराते हुए कहा। उसकी मुस्कान में एक अजीब-सा सुकून था, जैसे वह बहुत समय से इस पल का इंतज़ार कर रहा था।
“तुमने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?” आदित्य ने गुस्से में पूछा। “तुम्हें राधिका के बारे में क्या पता है?”
“मुझे सब पता है,” अमित ने कहा। “मैं जानता हूँ कि वह कहाँ है, और वह क्यों गई। लेकिन पहले, तुम्हें अपनी आँखों से देखना होगा।”
अमित ने एक दीवार पर रखे हुए कुछ कपड़े हटाए। उसके पीछे एक बड़ी-सी पेंटिंग थी। आदित्य का दिल एक पल के लिए रुक गया। यह वही पेंटिंग थी जो उसने राधिका की डायरी में देखी थी – ‘द शैडोज़’। इस पेंटिंग में एक आदमी की परछाई थी, और उस परछाई के अंदर से कई और परछाइयाँ झाँक रही थीं।
“यह पेंटिंग कोई साधारण पेंटिंग नहीं है,” अमित ने कहा। “यह हर उस इंसान की परछाई है जो इस समूह का हिस्सा था। और हर परछाई में एक इंसान का राज छुपा हुआ है।”
आदित्य की आँखों में एक और राज खुलने की उत्सुकता थी। “यह सब क्या है?”
“यह सच है। राधिका इस समूह का हिस्सा थी। लेकिन जब उसने तुमसे शादी की, तो वह इस दुनिया को छोड़ना चाहती थी। लेकिन इस दुनिया से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। जो एक बार इसमें शामिल हो जाता है, वह जीवन भर के लिए इसका हिस्सा बन जाता है।”
अमित ने एक और तस्वीर दिखाई। यह राधिका की थी, और उसने एक अजीबोगरीब पोशाक पहनी हुई थी। “यह राधिका की एक आखिरी तस्वीर है। उसने मुझसे कहा था कि वह इस सब को छोड़ना चाहती है। लेकिन माधव, जो इस समूह का मुखिया है, उसने राधिका को जाने नहीं दिया। माधव ने कहा कि राधिका का दिल बहुत मासूम था, और वह इसे बर्बाद कर देगा।”
“लेकिन तुम कहाँ थे जब यह सब हो रहा था?” आदित्य ने गुस्से में पूछा।
“मैं वहाँ था, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सका,” अमित ने कहा। “मैं डर गया था। लेकिन जब मैंने देखा कि राधिका ने तुम्हें पाने के लिए अपने जीवन को भी दाँव पर लगा दिया, तो मैं समझ गया कि मुझे उसकी मदद करनी चाहिए।”
अमित ने एक चाबी निकाली। “यह चाबी एक जगह की है, जहाँ राधिका ने अपने सारे रहस्य छिपा रखे हैं। मुझे नहीं पता कि वह कहाँ है, लेकिन मुझे पता है कि वह तुम्हारे करीब है।”
अमित ने यह कहते हुए एक और कदम पीछे लिया। तभी, दरवाज़े पर एक और परछाई दिखाई दी। वह एक रहस्यमयी आदमी था, और उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। यह माधव था।
“तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी, अमित,” माधव ने कहा। “तुमने अपने राज को खोल दिया है। अब मैं तुम्हें भी खत्म कर दूंगा।”
माधव ने अमित पर वार किया, और अमित वहीं गिर गया।
आदित्य ने डर से अमित को देखा। वह अब भी साँस ले रहा था, लेकिन उसकी हालत खराब थी।
“अब तुम्हारी बारी है,” माधव ने कहा।
आदित्य डर से पीछे हट गया। उसने राधिका की डायरी को माधव पर फेंका और भागने लगा। माधव उसके पीछे भागा, लेकिन आदित्य ने एक कोने में छिपे हुए एक हथियार को उठाया और माधव पर हमला कर दिया।
माधव गिर गया, और आदित्य ने उसका गला दबा दिया। “तुमने मेरी पत्नी को क्यों नुकसान पहुँचाया?”
“उसने मेरे राज को खोलना चाहा था,” माधव ने कहा। “लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई। अब तुम्हें भी यह नहीं पता चलेगा कि वह कहाँ है।”
माधव ने अपनी आखिरी साँस ली, और आदित्य ने उसे छोड़ दिया। वह गिर गया और जमीन पर बेजान पड़ा था।
आदित्य ने अमित की ओर देखा, जो अब भी साँस ले रहा था। “राधिका कहाँ है?”
“उसने… उसने अपने राज को… छुपाया है,” अमित ने कहा। “वह… वह तुम्हें चाहती थी।”
अमित ने आदित्य के कान में फुसफुसाते हुए एक और जगह का पता बताया और वहीं दम तोड़ दिया।
आदित्य ने अपने फोन से पुलिस को बुलाया, और फिर उस पते की ओर भागा।
अध्याय 6: खोखला आईना, असली चेहरा
अमित द्वारा बताए गए पते पर पहुँचकर आदित्य ने अपनी गाड़ी रोकी। यह शहर की एक पुरानी और सुनसान graveyard थी। यहाँ चारों तरफ ख़ामोशी थी, सिर्फ हवा की सरसराहट की आवाज़ आ रही थी। आदित्य ने अपने हाथ में राधिका की डायरी और उस रहस्यमयी चाबी को कसकर पकड़ा हुआ था।
वह धीरे-धीरे graveyard के अंदर गया। वहाँ कोई नहीं था। आदित्य का दिल एक पल के लिए रुक गया। तभी उसने एक परछाई को एक कब्र के पीछे से निकलते हुए देखा। वह एक आदमी था, जो अपने हाथों में एक फूलदान पकड़े हुए था। उसने अपनी जैकेट में कुछ छुपा रखा था।
“तुम आ गए,” आदमी ने शांत आवाज़ में कहा। “मुझे पता था कि तुम आओगे।”
“तुम कौन हो?” आदित्य ने गुस्से में पूछा। “तुम राधिका के बारे में क्या जानते हो?”
“मुझे सब पता है,” आदमी ने कहा। “मैं जानता हूँ कि वह कहाँ है, और वह क्यों गई। लेकिन पहले, तुम्हें अपनी आँखों से देखना होगा।”
आदित्य ने डर से उस आदमी को देखा। उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। तभी उसने उस आदमी के हाथ में एक और तस्वीर देखी। यह राधिका की थी, और उसने एक अजीबोगरीब पोशाक पहनी हुई थी।
“यह राधिका की एक आखिरी तस्वीर है,” आदमी ने कहा। “उसने मुझसे कहा था कि वह इस सब को छोड़ना चाहती है। लेकिन माधव, जो इस समूह का मुखिया है, उसने राधिका को जाने नहीं दिया।”
आदमी ने एक और चाबी निकाली। “यह चाबी एक जगह की है, जहाँ राधिका ने अपने सारे रहस्य छिपा रखे हैं। मुझे नहीं पता कि वह कहाँ है, लेकिन मुझे पता है कि वह तुम्हारे करीब है।”
आदमी ने यह कहते हुए एक कदम पीछे लिया। तभी, एक और परछाई दिखाई दी। वह एक रहस्यमयी औरत थी, और उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। यह राधिका थी।
आदित्य का दिल एक पल के लिए रुक गया। “तुम… तुम यहाँ हो?”
“हाँ, मैं यहाँ हूँ,” राधिका ने कहा। “मैं हमेशा यहाँ थी।”
आदित्य ने डर से राधिका को देखा। वह वैसी ही दिख रही थी, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी।
“यह सब क्या है?” आदित्य ने पूछा।
“यह सच है,” राधिका ने कहा। “मैं इस समूह का हिस्सा थी। लेकिन जब मैंने तुमसे शादी की, तो मैं इस दुनिया को छोड़ना चाहती थी। लेकिन इस दुनिया से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। जो एक बार इसमें शामिल हो जाता है, वह जीवन भर के लिए इसका हिस्सा बन जाता है।”
“तो तुम कहाँ थी?” आदित्य ने पूछा।
“मैं वहाँ थी, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकी,” राधिका ने कहा। “मैं डर गई थी। लेकिन जब मैंने देखा कि तुम मुझे पाने के लिए अपने जीवन को भी दाँव पर लगा रहे हो, तो मैं समझ गई कि मुझे तुम्हें बचाना चाहिए।”
राधिका ने आदित्य के कान में फुसफुसाते हुए कहा, “मैंने अपने सारे रहस्य एक जगह पर छिपा रखे हैं। तुम वहाँ जाओ, और तुम्हें सब कुछ मिल जाएगा।”
राधिका ने एक और चाबी निकाली। “यह चाबी एक जगह की है, जहाँ मैंने अपने सारे रहस्य छिपा रखे हैं। मुझे नहीं पता कि वह कहाँ है, लेकिन मुझे पता है कि वह तुम्हारे करीब है।”
राधिका ने आदित्य को एक और जगह का पता बताया और वहीं दम तोड़ दिया।
आदित्य ने डर से राधिका को देखा। वह वहीं बेजान पड़ी थी।
आदित्य ने अपने फोन से पुलिस को बुलाया, और फिर उस पते की ओर भागा।
अध्याय 7: सच का सामना
पुलिस को खबर देने के बाद, आदित्य तुरंत अमित द्वारा बताए गए अंतिम पते की ओर भागा। यह पता राधिका के बचपन के घर का था, जहाँ वह अपने माता-पिता के साथ रहती थी। अब वह घर वर्षों से खाली पड़ा था। आदित्य को यह सुनकर हैरानी हुई कि राधिका ने कभी अपने बचपन के बारे में कोई बात नहीं बताई थी।
वह घर के अंदर गया। वहाँ सब कुछ वैसा ही था जैसा राधिका ने अपने बचपन में छोड़ दिया था। धूल भरी मेज़, पुराने फ़ोटो फ़्रेम और दीवारों पर लगे कुछ स्केच। आदित्य की नज़र एक कोने में पड़ी हुई एक पेटी पर गई। उस पर राधिका का नाम लिखा हुआ था।
आदित्य ने पेटी खोली। अंदर एक चाबी, एक पुराना फ़ोटो एल्बम और कुछ और तस्वीरें थीं। आदित्य ने फ़ोटो एल्बम उठाया। पहले कुछ पन्ने राधिका के बचपन की तस्वीरों से भरे हुए थे। उसकी बचपन की शरारतें, उसके बचपन के दोस्त और उसके माता-पिता।
तभी उसकी नज़र एक तस्वीर पर रुकी, जिसमें राधिका के माता-पिता की तस्वीर थी। वह दोनों मुस्कुरा रहे थे। लेकिन आदित्य को कुछ अजीब लगा। उस तस्वीर में राधिका के पिता की आँखों में एक अजीब-सी चमक थी।
अगले पन्ने पर एक और तस्वीर थी, जिसमें राधिका के पिता और राधिका एक ही कुर्सी पर बैठे हुए थे। आदित्य को देखकर हैरानी हुई कि राधिका के पिता की आँखों में वही चमक थी, जो अमित और माधव की आँखों में थी।
तभी उसे एक और राज पता चला। माधव का असली नाम माधव नहीं, बल्कि महेंद्र था। और वह राधिका का चचेरा भाई था। वह दोनों एक ही गुरु के शिष्य थे, और उन्होंने एक साथ ‘द शैडोज़’ नामक समूह की शुरुआत की थी।
आदित्य ने डायरी में लिखा हुआ कुछ और पढ़ा। “मैंने अपनी कला से अपने पिता को खो दिया। मैंने अपनी कला से अपने परिवार को खो दिया। लेकिन मैं अपनी कला से अपने प्यार को नहीं खो सकती।”
आदित्य को अब समझ में आने लगा था। राधिका ने अपनी कला से अपने पिता को खो दिया था, और अब वह अपनी कला से अपने प्यार को नहीं खोना चाहती थी।
वह तुरंत उस पते की ओर भागा, जहाँ अमित और माधव ने उसे बुलाया था। वह वहाँ पहुँचा और उसने देखा कि पुलिस ने वहाँ पहले ही अपना डेरा डाल दिया था। पुलिस ने उसे बताया कि उन्हें वहाँ अमित और माधव की लाशें मिली हैं।
“तुम्हारे हाथ में क्या है?” एक पुलिस अधिकारी ने पूछा।
“यह राधिका की डायरी है,” आदित्य ने कहा। “और यह उसकी डायरी नहीं, बल्कि उसकी पेंटिंग है।”
पुलिस ने आदित्य से वह डायरी ली और उसे पढ़ना शुरू किया। लेकिन वह कुछ नहीं समझ पा रहे थे।
आदित्य ने बताया, “यह कोई साधारण डायरी नहीं है। यह राधिका की कला का एक हिस्सा है। हर शब्द, हर वाक्य, एक तस्वीर है। और वह तस्वीर राधिका की मौत का राज है।”
पुलिस ने आदित्य को पागल समझा। लेकिन जब उन्होंने राधिका की डायरी को एक अंधेरे कमरे में देखा, तो उनकी आँखें खुली की खुली रह गईं। डायरी के हर पन्ने पर एक अजीबोगरीब पेंटिंग थी, और हर पेंटिंग में एक आदमी की तस्वीर थी। वह आदमी राधिका का पिता था।
आदित्य को अब सब कुछ समझ में आ गया था। राधिका ने अपनी कला से अपने पिता को खो दिया था, और अब वह अपनी कला से अपने प्यार को नहीं खोना चाहती थी।
निष्कर्ष:
आदित्य अपने घर लौटा। अब उसके पास राधिका नहीं थी। लेकिन उसके पास राधिका की कला थी, जो उसकी मौत का राज खोल रही थी। आदित्य ने अब अपना जीवन राधिका की कला को समझने और उसके अधूरे काम को पूरा करने में लगा दिया।
वह हमेशा उस रात को याद करता रहा, जब राधिका ने उसे छोड़ दिया था। लेकिन अब उसे यह पता चल गया था कि राधिका ने उसे इसलिए नहीं छोड़ा था क्योंकि वह उसे प्यार नहीं करती थी, बल्कि इसलिए क्योंकि वह उसे अपनी कला से बचाना चाहती थी।
क्या आदित्य राधिका की कला से अपने जीवन में एक नया मोड़ ला पाएगा? क्या वह राधिका की मौत का राज खोल पाएगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
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पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, और दिल से एक कहानीकार हैं। अपने बच्चों को बचपन की कहानियाँ सुनाते हुए, उन्हें एहसास हुआ कि इन सरल कहानियों में जीवन के कितने गहरे सबक छिपे हैं। लेखन उनका शौक है, और KisseKahani.in के माध्यम से वे उन नैतिक और सदाबहार कहानियों को फिर से जीवंत करना चाहते हैं जो उन्होंने अपने बड़ों से सुनी थीं। उनका मानना है कि एक अच्छी कहानी वह सबसे अच्छा उपहार है जो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को दे सकते हैं।