क्या आप अँधेरी रातों में रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानियों के शौकीन हैं? तो तैयार हो जाइए हिमाचल के धुंधले पहाड़ों में छिपी एक ऐसी हवेली के रहस्य को जानने के लिए, जहाँ सदियों पुराना शाप आज भी ज़िंदा है। ‘देवदार हवेली का शाप’ आपको डरावनी फुसफुसाहटों और भटकती आत्माओं की दुनिया में खींच ले जाएगा, जहाँ हर परछाई में एक अनकहा ख़ौफ़ छिपा है। क्या आप इस शापित कहानी का सामना करने को तैयार हैं?
हिमाचल प्रदेश के घने, धुंध से ढके पहाड़ों के बीच, एक पुरानी, जीर्ण-शीर्ण हवेली खड़ी थी, जिसे लोग ‘देवदार हवेली’ के नाम से जानते थे। उसके चारों ओर देवदार के ऊँचे-ऊँचे पेड़ थे, जिनकी सरसराहट रात में किसी फुसफुसाहट जैसी लगती थी। गाँव वाले कहते थे कि इस हवेली में एक गहरा, पुराना शाप छिपा है, जो सदियों से ‘ठाकुर’ परिवार की पीढ़ियों को निगल रहा है।
देवदार हवेली का शाप

इतिहासकार आकाश का आगमन
शहर के जाने-माने इतिहासकार, आकाश, पुरानी कहानियों और अनसुलझे रहस्यों के प्रति गहरी जिज्ञासा रखते थे। जब उन्हें देवदार हवेली के बारे में पता चला, तो उनके मन में एक अजीब सी बेचैनी हुई। उन्हें लगा कि इस हवेली में उनके अगले शोध का विषय छिपा है। गाँव वालों की चेतावनियों को नज़रअंदाज़ करते हुए, आकाश एक तूफानी शाम को हवेली के दरवाज़े पर पहुँच गए।
हवेली का भारी-भरकम, जंग लगा दरवाज़ा चरमराते हुए खुला, जैसे किसी पुरानी कब्र का ढक्कन हट रहा हो। अंदर कदम रखते ही, हवा में एक अजीब सी नमी और सड़ी हुई लकड़ी की गंध फैली हुई थी। आकाश ने अपनी टॉर्च जलाई, जिसकी पतली किरणें धूल से भरे गलियारों में नाचने लगीं। हर कोने में, हर परछाई में, एक अनकही कहानी छिपी थी।
शापित ताबीज़ का रहस्य
आकाश ने हवेली के पुराने अभिलेखागार में कई रातें बिताईं। मोमबत्ती की टिमटिमाती रोशनी में, पुरानी पोथियों के पन्ने पलटते हुए, उन्हें एक हैरान करने वाली सच्चाई का पता चला। सदियों पहले, ठाकुर परिवार ने स्थानीय आदिवासियों की ज़मीन और उनके पवित्र स्थानों को बलपूर्वक हथिया लिया था। इस क्रूरता के प्रतीक के रूप में, उन्होंने आदिवासियों के मुखिया से एक प्राचीन, चाँदी का ताबीज़ छीन लिया था, जिसमें एक गहरा, काला पत्थर जड़ा हुआ था। आदिवासियों के मुखिया ने मरते समय उस ताबीज़ को शाप दिया था – “जो भी इसे धारण करेगा, वह हमारे दर्द और क्रोध को महसूस करेगा। उसकी आत्मा कभी शांति नहीं पाएगी, और उसके वंशज भी इसी शाप के भागीदार होंगे।”
जैसे ही आकाश ने यह पढ़ा, उनकी उंगलियाँ एक पुरानी लकड़ी की संदूकची पर पड़ीं। संदूकची खोली तो अंदर वही चाँदी का ताबीज़ चमक रहा था। एक अजीब सी शक्ति ने उन्हें अपनी ओर खींचा, और उन्होंने अनजाने में उसे उठा लिया। ताबीज़ को छूते ही, आकाश के पूरे शरीर में एक ठंडी सिहरन दौड़ गई। हवा में फुसफुसाहटें तेज़ हो गईं, जैसे सैकड़ों आत्माएँ एक साथ बोल रही हों।
डर का साया
रात और गहरी होती जा रही थी। हवेली की विशाल खिड़कियों से बाहर तूफ़ान का शोर सुनाई दे रहा था। आकाश को लगा कि वह अकेला नहीं है। गलियारों में किसी के चलने की आवाज़ें आ रही थीं, कभी बच्चों के रोने की, तो कभी किसी बूढ़े व्यक्ति की डरावनी हँसी। उनकी मोमबत्ती की लौ तेज़ी से फड़फड़ाने लगी, और दीवारों पर अजीबोगरीब, लम्बी परछाइयाँ नाचने लगीं।
एक रात, जब आकाश अपने कमरे में सो रहे थे, उन्हें लगा कि कोई उनके बिस्तर के पास खड़ा है। उन्होंने आँखें खोलीं, तो सामने एक धुंधली आकृति खड़ी थी। वह एक जवान औरत की आत्मा थी, जिसकी आँखें सूजी हुई थीं और उसके चेहरे पर गहरा दर्द था। वह आकाश की ओर अपना हाथ बढ़ा रही थी, जैसे मदद माँग रही हो, या उन्हें अपने साथ ले जाना चाहती हो। आकाश की साँसें अटक गईं, और वह डर के मारे काँपने लगे।
पूर्वजों का प्रतिशोध
आकाश ने हिम्मत करके उस ताबीज़ के बारे में और जानकारी जुटाई। उन्हें पता चला कि हर उस व्यक्ति को, जिसने इस ताबीज़ को धारण किया, उसी तरह की भयानक मौत मिली, जैसे उन आदिवासियों को मिली थी। कुछ को फाँसी पर लटकाया गया, कुछ को ज़मीन में ज़िंदा दफ़नाया गया, और कुछ को भयानक यातनाएँ दी गईं। यह ताबीज़ सिर्फ़ एक शाप नहीं, बल्कि उन पीड़ित आत्माओं का प्रतिशोध था।
एक दिन, आकाश को हवेली के मुख्य हॉल में एक पुराना, धूल से ढका आईना मिला। जैसे ही उन्होंने उसमें झाँका, उन्हें अपनी परछाई नहीं दिखी। उसकी जगह, एक विकृत, भयानक चेहरा दिखाई दिया, जिसकी आँखें लाल थीं और मुँह से खून टपक रहा था। वह चेहरा ठाकुर परिवार के उस पूर्वज का था, जिसने आदिवासियों पर सबसे ज़्यादा अत्याचार किए थे। आईने से एक ठंडी, सड़ी हुई साँस बाहर निकली, और आकाश पीछे हट गए।
अंतिम संघर्ष
आकाश समझ गए थे कि उन्हें इस शाप को तोड़ना होगा, नहीं तो उनकी भी वही नियति होगी। उन्होंने पुरानी पोथियों में शाप तोड़ने का तरीका ढूँढा। उन्हें पता चला कि ताबीज़ को केवल उसी पवित्र भूमि पर नष्ट किया जा सकता है, जहाँ आदिवासियों का नरसंहार हुआ था, और वह भी पूर्णिमा की रात को।
पूर्णिमा की रात थी। बाहर तूफ़ान और भी भयानक हो गया था। बिजली कड़क रही थी, और हवेली के अंदर हवा तेज़ी से घूम रही थी। आकाश ताबीज़ लेकर उस जगह की ओर बढ़े, जो अब हवेली के आँगन में दब चुकी थी। जैसे ही वह उस स्थान पर पहुँचे, हवेली की हर खिड़की से भयानक चीखें सुनाई देने लगीं। हवा में सैकड़ों आत्माएँ मंडरा रही थीं, उन्हें रोकने की कोशिश कर रही थीं।
आकाश ने अपनी पूरी ताक़त लगाई और ताबीज़ को ज़मीन पर पटकना चाहा। तभी, एक ठंडी, अदृश्य शक्ति ने उन्हें अपनी ओर खींचा। उन्हें लगा कि उनके शरीर से उनकी आत्मा अलग हो रही है। उनके गले पर एक अदृश्य फंदा कस रहा था, ठीक वैसे ही, जैसे उन आदिवासियों को फाँसी दी गई थी। उनकी आँखें बाहर निकलने लगीं, और उनके मुँह से खून आने लगा।
एक पल के लिए, आकाश को लगा कि वह हार गए हैं। लेकिन तभी, उन्हें उन आदिवासियों के दर्दनाक चेहरे याद आए, जिनकी आत्माएँ अभी भी शांति की तलाश में थीं। एक आख़िरी प्रयास में, उन्होंने अपनी बची हुई शक्ति से ताबीज़ को ज़मीन पर दे मारा।
एक तेज़ रोशनी हुई, और फिर सब कुछ शांत हो गया।
एक अनसुलझा अंत
अगली सुबह, जब गाँव वाले हवेली के पास पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि तूफ़ान थम चुका था। हवेली का दरवाज़ा खुला था, और अंदर अजीब सी शांति थी। उन्हें आकाश तो नहीं मिले, लेकिन आँगन में, जहाँ कभी आदिवासियों का नरसंहार हुआ था, वहाँ एक गहरा गड्ढा था। गड्ढे के बीच में, चाँदी का ताबीज़ पड़ा था, लेकिन उसका काला पत्थर टूटकर बिखर चुका था।
गाँव वालों ने कभी आकाश को फिर नहीं देखा। लेकिन कहते हैं कि आज भी, देवदार हवेली की शांत रातों में, कभी-कभी एक युवा इतिहासकार की फुसफुसाहट सुनाई देती है, जो शायद उन आत्माओं को मुक्ति दिलाने में सफल हो गया था, या शायद खुद ही उस शाप का एक और शिकार बन गया। हवेली आज भी खड़ी है, अपने गहरे रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए, और हर आने वाले को यह याद दिलाती है कि कुछ पाप कभी नहीं मिटते, और कुछ आत्माएँ कभी हार नहीं मानतीं।
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पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, और दिल से एक कहानीकार हैं। अपने बच्चों को बचपन की कहानियाँ सुनाते हुए, उन्हें एहसास हुआ कि इन सरल कहानियों में जीवन के कितने गहरे सबक छिपे हैं। लेखन उनका शौक है, और KisseKahani.in के माध्यम से वे उन नैतिक और सदाबहार कहानियों को फिर से जीवंत करना चाहते हैं जो उन्होंने अपने बड़ों से सुनी थीं। उनका मानना है कि एक अच्छी कहानी वह सबसे अच्छा उपहार है जो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को दे सकते हैं।