अधूरी पेंटिंग का रहस्य

अधूरी पेंटिंग का रहस्य

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हरी-भरी पहाड़ियों के बीच बसे शांतिपुर के पुराने कस्बे में, कलाभवन नाम की एक प्राचीन कला गैलरी खड़ी थी। सदियों पुरानी इस गैलरी में अनमोल और दुर्लभ कलाकृतियाँ रखी हुई थीं। लेकिन इनमें से एक पेंटिंग ऐसी थी, जिसने हर किसी की कल्पना को जगाया और दिल में डर भी भर दिया।

यह पेंटिंग एक महिला की थी, जो गहरे लाल रंग की साड़ी पहने हुए थी। उसका चेहरा जैसे जीवित हो, उसकी दुखी आँखें देखने वाले को पीछा करती हुई प्रतीत होतीं। लेकिन पेंटिंग अधूरी थी—महिला का निचला शरीर और पृष्ठभूमि बस धुंधले रंगों में ढकी हुई थी, जैसे कलाकार इसे पूरा करने से पहले कहीं गायब हो गया हो।

गांव वालों के बीच इस पेंटिंग को लेकर कई कहानियाँ थीं। कुछ इसे एक अभिशाप मानते थे, तो कुछ कहते थे कि यह पेंटिंग एक आत्मा को बंदी बनाकर रखती है।

अध्याय 1: नया आगंतुक

दिल्ली से आए एक युवा चित्रकार अमन ने हाल ही में कलाभवन का प्रबंधन संभाला था। कला के प्रति उसका जुनून उसे इस जगह खींच लाया था। जब उसने पहली बार इस अधूरी पेंटिंग को देखा, तो वह हैरान रह गया।

उसने गैलरी के पुराने केयरटेकर, रामलाल, से पूछा,
“यह पेंटिंग अधूरी क्यों है? और इसे पूरा क्यों नहीं किया गया?”

रामलाल ने धीरे से जवाब दिया,
“साहब, इस पेंटिंग को पूरा करने की कोशिश मत करना। कहते हैं कि जिसने भी इसे पूरा करने की कोशिश की, उसने अपनी ज़िंदगी खो दी।”

अमन ने इसे अंधविश्वास मानकर हँस दिया। लेकिन पेंटिंग ने उसके अंदर एक अजीब सी जिज्ञासा जगा दी थी।

अध्याय 2: छुपे हुए सच की तलाश

अमन ने गैलरी के दस्तावेज़ और शांतिपुर के पुराने रिकॉर्ड खंगालने शुरू किए। उसे पता चला कि इस पेंटिंग को 70 साल पहले एक प्रसिद्ध कलाकार, अनिरुद्ध सेन, ने बनाया था।

अनिरुद्ध अपनी असाधारण प्रतिभा के लिए जाना जाता था, लेकिन इस पेंटिंग के दौरान वह अचानक लापता हो गया। लोग कहते थे कि वह इस पेंटिंग के अंदर की महिला की आत्मा से डर कर भाग गया।

लेकिन कुछ और था जो अमन को खटक रहा था। पेंटिंग की आँखों में कुछ ऐसा था जो उसे चैन नहीं लेने दे रहा था।

अध्याय 3: पहली रात की हलचल

एक रात, जब अमन देर तक गैलरी में काम कर रहा था, उसे पेंटिंग के पास से अजीब सी फुसफुसाहटें सुनाई दीं।
“पूरा करो… मुझे पूरा करो…”

अमन का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने पेंटिंग की ओर देखा। महिला की आँखें पहले से अधिक जीवंत लग रही थीं, मानो वह उसे बुला रही हो। अमन ने इसे अपनी थकान समझकर नज़रअंदाज़ किया।

लेकिन यह घटना उसके मन में एक डर पैदा कर गई।

अध्याय 4: पेंटिंग का जादू

अगले दिन अमन ने पेंटिंग को और करीब से देखा। उसने ध्यान दिया कि पृष्ठभूमि में कुछ आकृतियाँ उभर रही थीं। यह एक महल की झलक थी—जैसे कोई प्राचीन राजमहल।

अमन ने फैसला किया कि वह इस रहस्य को सुलझाएगा और पेंटिंग को पूरा करेगा। यह सोचकर उसने रंग और ब्रश उठाए।

अध्याय 5: अजीब घटनाओं का सिलसिला

जैसे ही उसने पेंटिंग पर काम शुरू किया, गैलरी में अजीब घटनाएँ होने लगीं।

  • दरवाज़े अपने आप खुलने और बंद होने लगे।
  • पेंटिंग के पास रखे ब्रश और रंग अपनी जगह बदल जाते।
  • रात के समय, महिला की आँखें और अधिक जीवंत हो जातीं, जैसे वह अमन को घूर रही हो।

रामलाल ने एक बार फिर उसे चेतावनी दी,
“साहब, इस पेंटिंग को पूरा करना आत्मा को मुक्त करने जैसा है। यह आत्मा सिर्फ कैद में रह सकती है। बाहर आई, तो विनाश होगा।”

लेकिन अमन ने किसी की बात नहीं सुनी।

अध्याय 6: अंतिम रात

उस रात अमन ने तय कर लिया कि वह पेंटिंग को पूरा करेगा। उसने ब्रश उठाया और महिला की अधूरी पृष्ठभूमि को भरने लगा।

जैसे ही उसने आखिरी ब्रश स्ट्रोक लगाया, पूरा कमरा हिलने लगा। गैलरी की लाइट्स झपकने लगीं, और एक भयंकर चीख गूँज उठी। अमन ने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था।

पेंटिंग की महिला अब पूरी हो चुकी थी। लेकिन उसकी आँखों में खौफनाक चमक थी, और उसके होंठों पर एक भयानक मुस्कान।

अध्याय 7: अंत का रहस्य

अगली सुबह, रामलाल ने गैलरी का दरवाज़ा खोला। अमन गायब था। पेंटिंग अब पूरी थी, और महिला की आँखों में एक अजीब सा जीवंत भाव था।

गांव वाले कहते हैं कि अमन पेंटिंग के भीतर कैद हो गया। कुछ इसे महज़ एक कहानी मानते हैं, लेकिन जिसने भी उस पेंटिंग को देखा, उसकी आँखों में वही डर देखने को मिला।

क्या आप इस पेंटिंग को देखने की हिम्मत करेंगे?

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