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खौफ – एक रात का सफर

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क्या कभी किसी रात के सफर में, आपको लगा है कि आप अकेले नहीं हैं? जब आपकी गाड़ी की हेडलाइट्स सिर्फ़ सड़क को रोशन करती हैं, लेकिन आपके पीछे की सीट पर एक अनजानी परछाई आपका इंतज़ार कर रही होती है।

खौफ – एक रात का सफर

दिल्ली-जयपुर हाईवे, जो दिन में लाखों लोगों की यात्रा का गवाह बनता है, रात के सन्नाटे में एक ऐसी कहानी कहता है, जो हर यात्री के दिल में डर भर देती है। यह कहानी सिर्फ़ एक रोड ट्रिप की नहीं, बल्कि एक ऐसे डरावने सफर की है, जहाँ आपका सबसे बड़ा दुश्मन आपका अपना डर है।

मिलिए राहुल से, जो इस हाईवे पर अपने जीवन की सबसे भयानक रात का सामना करने वाला है। क्या वह उस रहस्यमय आत्मा से बच पाएगा? या वह इस हाईवे पर भटकने वाला अगला शिकार बन जाएगा?

जानने क लिए चलिए पढ़ते है-

एक रात का सफर


अध्याय 1: रात का पहला शिकार

दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी से तंग आकर, राहुल अपनी नई थार में दिल्ली-जयपुर हाईवे की ओर निकल पड़ा। रात के सन्नाटे में उसकी गाड़ी की हेडलाइट्स सड़क को चीर रही थीं। वह अपनी यात्रा का आनंद ले रहा था, जब नीमराना के पास, उसने सड़क के किनारे एक महिला को हाथ देते हुए देखा। आधी रात को एक सुनसान हाईवे पर एक अकेली महिला… यह अजीब था, फिर भी इंसानियत के नाते, उसने गाड़ी रोक दी।

वह महिला, जिसके बाल उसके चेहरे को ढँके हुए थे, चुपचाप पीछे की सीट पर बैठ गई। उसने कुछ नहीं कहा, बस खिड़की से बाहर देखती रही। राहुल को अजीब बेचैनी हुई, लेकिन उसने सोचा कि शायद वह थकी हुई होगी।

कुछ मिनटों बाद, राहुल को गाड़ी के शीशे से पीछे देखने पर पता चला कि महिला वहाँ नहीं थी। सीट खाली थी। उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। वह गाड़ी से बाहर निकला, उसने चारों ओर देखा, लेकिन कोई नहीं था। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। उसने जल्दी से गाड़ी स्टार्ट की और वहाँ से भाग गया, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि वह बस पहला शिकार था।

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अध्याय 2: रहस्यमयी आवाज़ और अदृश्य दुश्मन

अगले दिन, राहुल अपने दोस्तों के साथ उसी हाईवे पर वापस दिल्ली जा रहा था। इस बार, वह रात में गाड़ी नहीं चलाना चाहता था, लेकिन उसके दोस्तों ने उसे मज़ाक में कहा कि वह डर गया है। राहुल ने हिम्मत करके रात में गाड़ी चलाना शुरू किया।

रात के करीब 1 बजे, राहुल को फिर से वही धीमी, भयानक फुसफुसाहट सुनाई दी, “भैया… क्या मैं आपके साथ आ सकती हूँ?” राहुल के रोंगटे खड़े हो गए। उसने पीछे देखा, उसके दोस्त गहरी नींद में थे। इस बार, उसे पता था कि यह उसका भ्रम नहीं है। उसने गाड़ी की गति बढ़ा दी, लेकिन उसे महसूस हुआ कि कोई उसकी गाड़ी का पीछा कर रहा है। उसकी गाड़ी की स्पीड 120 थी, लेकिन उसके पीछे एक काली परछाई थी जो उसका पीछा कर रही थी। राहुल ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह पीछा नहीं छोड़ रही थी।

तभी, उसके मोबाइल की स्क्रीन पर एक संदेश आया, “तुम मुझसे नहीं बच सकते।” राहुल के पसीने छूट गए। उसने सोचा कि यह कौन है? क्या यह सच है या सिर्फ़ उसका भ्रम है? उसने गाड़ी रोक दी और अपने दोस्तों को जगाया। जब उन्होंने पूछा कि क्या हुआ, तो उसने उन्हें सब कुछ बताया, लेकिन उन्होंने उस पर विश्वास नहीं किया।


अध्याय 3: आत्मा से टक्कर

राहुल के दोस्त उसे पागल समझ रहे थे, लेकिन राहुल को पता था कि वह झूठ नहीं बोल रहा है। उसने फिर से गाड़ी चलाई, लेकिन इस बार, उसने गाड़ी को एक पुराने रास्ते पर मोड़ दिया जो हाईवे से दूर था। उस रास्ते पर कोई नहीं था। उसने गाड़ी रोकी, और वह बाहर निकला। उसके दोस्त डर गए, लेकिन राहुल ने उन्हें कहा, “मुझे पता है कि यह सब मेरे साथ हो रहा है। तुम लोग अंदर बैठो।”

राहुल ने हिम्मत करके आवाज़ को चुनौती दी, “तुम कौन हो? और तुम मुझसे क्या चाहती हो?” तभी, उसके सामने हवा में एक परछाई दिखाई दी। वह वही महिला थी जो हाईवे पर थी। “मैं तुम्हारा डर हूँ,” परछाई ने कहा। “तुम डर गए हो, इसलिए तुम मेरे गुलाम हो।” “मैं तुम्हारा गुलाम नहीं हूँ!” राहुल ने चिल्लाकर कहा। “मैं डर से नहीं लड़ रहा, मैं हिम्मत से लड़ रहा हूँ।”

तभी, महिला की परछाई एक भयानक रूप लेने लगी। उसकी आँखें लाल हो गईं, और उसके मुँह से धुआँ निकलने लगा। उसने राहुल की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया, और राहुल को लगा कि कोई उसे खींच रहा है। लेकिन राहुल ने हार नहीं मानी। उसने अपने दिल में भगवान का नाम लिया, और उसने अपनी पूरी शक्ति से उस परछाई का सामना किया।


अध्याय 4: अंत और जीत

राहुल ने हिम्मत करके महिला की परछाई पर वार किया, लेकिन वह हवा में घुल गई। तभी, उसे महसूस हुआ कि कोई उसके पीछे है। वह पीछे मुड़ा, और उसने देखा कि वह महिला उसके सामने थी। उसने अपने दाँत दिखाए, और उसके मुँह से एक भयानक चीख निकली।

राहुल को पता था कि वह अब अकेला नहीं है। उसने अपने दोस्तों की तरफ़ देखा, और उन्हें हिम्मत देने के लिए कहा, “तुम लोग हिम्मत रखो।” राहुल के दोस्त डर गए थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत करके गाड़ी की हेडलाइट्स जला दीं। हेडलाइट्स की रोशनी से वह परछाई कमजोर हो गई। “तुम… तुम यह कैसे कर सकते हो?” परछाई ने गुस्से में कहा। “मैं अकेला नहीं हूँ,” राहुल ने कहा। “मेरे साथ मेरे दोस्त हैं।”

राहुल और उसके दोस्तों ने एक साथ हिम्मत करके उस परछाई पर वार किया। परछाई ज़मीन पर गिर गई और एक भयानक चीख के साथ, वह हवा में घुल गई।


राहुल और उसके दोस्त उस रात को घर लौट आए। राहुल ने उस रात को अपने डर को हरा दिया था, और उसने अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया था। उसने यह भी समझ लिया था कि डर हमारे अंदर होता है, और हम ही उसे हरा सकते हैं।


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