क्या कभी किसी खिलौने ने आपको डराया है?
क्या आपने कभी सोचा है कि जिन पुरानी चीज़ों को हम छोड़ देते हैं, उनमें भी कोई कहानी छिपी होती है? एक ऐसी कहानी जो आपकी रातों की नींद उड़ा सकती है। हमारी नई कहानी ‘भूतिया गुड़िया‘ एक ऐसे ही रहस्य की परतें खोलती है।
यह कहानी है एक खुशहाल परिवार की, जो शहर के शोर से दूर एक पुरानी हवेली में सुकून तलाशने आता है। उनकी छोटी बेटी को एक टूटी-फूटी गुड़िया मिलती है, जिसे देखकर कोई भी उसे फेंक देगा। पर उस गुड़िया में न सिर्फ़ एक आत्मा छिपी थी, बल्कि एक ऐसा बदला भी जो सालों से अधूरा था।
क्या यह परिवार अपनी जान बचा पाएगा? या फिर गुड़िया का बदला उन्हें हमेशा के लिए अपनी दुनिया में खींच लेगा?
जानने क लिए चलिए पढ़ते है ये दिल दहला देने वाली कहानी
भूतिया गुड़िया

लखनऊ शहर के भीड़-भाड़ से दूर, एक शांत और हरी-भरी गली में, आकाश, प्रिया और उनकी 8 साल की बेटी पिंकी ने अपनी नई दुनिया की शुरुआत की। उनकी नई हवेली पुरानी ज़रूर थी, लेकिन उसका विशाल लॉन और शांत माहौल उन्हें भा गया। हवेली के चारों ओर जंगली घास और झाड़ियाँ उग आई थीं, जो उसकी पुरानी भव्यता को छिपा रही थीं।
पिंकी, जो अपनी मासूमियत में हर नई चीज़ से दोस्ती कर लेती थी, हवेली के पिछले हिस्से में घूम रही थी। वहीं, एक सूखी झाड़ी के नीचे उसे एक गुड़िया मिली। गुड़िया बहुत ही पुरानी और मैली थी। उसकी एक आँख गायब थी, कपड़े फटे हुए थे, और उसका प्लास्टिक का चेहरा पीला पड़ गया था। फिर भी, पिंकी को उससे एक अजीब सा लगाव हो गया। उसने उसे ‘गुड़िया रानी’ कहकर पुकारा और अपने छोटे हाथों से उसे उठाया।
“मम्मी, देखो मुझे क्या मिला!” पिंकी अपनी नई दोस्त को दिखाते हुए बोली। प्रिया ने गुड़िया को देखा और थोड़ी हिचकिचाई। “बेटा, यह बहुत पुरानी है, शायद इसे फेंक देना चाहिए।” लेकिन पिंकी का चेहरा उदास हो गया। “नहीं, मम्मी! यह मेरी नई दोस्त है।” प्रिया अपनी बेटी को उदास नहीं देख सकी और मुस्कुराते हुए बोली, “ठीक है, पर पहले इसे अच्छी तरह से साफ कर लो।”
पिंकी ने उस गुड़िया को अपने कमरे में लाकर बहुत प्यार से साफ किया। उसने अपनी पुरानी ड्रेस में से एक ड्रेस निकालकर उसे पहनाई, और उसे अपने बेड के बगल में रख दिया। उस रात, जब आकाश और प्रिया अपने कमरे में थे, उन्हें पिंकी के कमरे से एक अजीब, धीमी हँसी की आवाज़ सुनाई दी। वे तुरंत वहाँ गए, तो देखा कि पिंकी गहरी नींद में थी। उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया, यह सोचकर कि यह उनका भ्रम था। पर उन्हें नहीं पता था कि यह तो बस शुरुआत थी।
अगले कुछ दिन, अजीबोगरीब घटनाएँ बढ़ती गईं। रात में गुड़िया के हँसने की आवाज़ें साफ़ सुनाई देने लगीं। कभी-कभी लगता जैसे कोई फुसफुसा रहा है, “तुम आ गए… तुम वापस आ गए…”। पिंकी के खिलौने खुद-ब-खुद हिलने लगते थे और परछाइयाँ दीवारों पर नाचती थीं।
एक दिन, प्रिया जब पिंकी के कमरे में गई, तो उसने देखा कि गुड़िया बेड से उठकर खिड़की पर बैठी है। प्रिया डर के मारे काँप गई और उसने गुड़िया को उठाने की कोशिश की, पर वह उससे चिपकी हुई थी। तभी, गुड़िया की टूटी आँख से एक लाल चमक निकली, और प्रिया को लगा कि किसी ने उसे धक्का दिया। वह चीखकर कमरे से बाहर भागी।
प्रिया ने आकाश को सब कुछ बताया। दोनों ने फैसला किया कि उन्हें हवेली के पुराने मालिक, रविंद्रनाथ से मिलना चाहिए। रविंद्रनाथ हवेली के बाहर एक छोटी सी झोपड़ी में रहते थे। वे एक बहुत बूढ़े आदमी थे। “यह हवेली एक श्राप से ग्रस्त है,” रविंद्रनाथ ने कहा। “यहाँ बहुत साल पहले, एक दुष्ट जिन्न को उसके काले जादू के लिए मार दिया गया था। मरने से पहले, उसने एक गुड़िया में अपनी आत्मा का एक हिस्सा छिपा दिया। और उसने यह भी कहा कि जब तक कोई उस गुड़िया को छूकर उसके कपड़े नहीं बदलेगा, वह तब तक वापस नहीं आएगा। लेकिन जब ऐसा होगा, वह अपनी पूरी शक्ति के साथ वापस आएगा।”
आकाश ने काँपते हुए पूछा, “और वह गुड़िया…?” रविंद्रनाथ की आँखें उदास हो गईं। “वह मेरी बेटी की थी। वह उस गुड़िया से बहुत प्यार करती थी। एक दिन, उसने उस गुड़िया को साफ किया, और वही हुआ जिसका डर था। जिन्न की आत्मा का हिस्सा उसमें जाग गया। वह जिन्न मेरी बेटी के शरीर में जाना चाहता था, और मैं उसे रोक नहीं पाया। उसने मेरी बेटी को मार दिया। मैंने उस गुड़िया को दूर फेंक दिया, ताकि कोई और उसे छू न सके।”
आकाश और प्रिया को समझ आ गया था कि वे कितने बड़े खतरे में थे। जिन्न उनकी बेटी को अपना नया घर बनाना चाहता था।
उसी रात, पिंकी के कमरे से एक भयानक चीख सुनाई दी। आकाश और प्रिया भागकर वहाँ गए। पिंकी अपने बेड पर बेहोश पड़ी थी, और गुड़िया हवा में तैर रही थी। उसकी टूटी हुई आँख से खून बह रहा था, और उसका मुँह बड़ा होकर भयानक तरीके से हँस रहा था। “आखिरकार… तुम आ ही गए!” गुड़िया ने एक गहरी, कर्कश आवाज़ में कहा। “मुझे एक नया शरीर चाहिए, और तुम्हारी बेटी का शरीर एकदम सही है।”
हवेली की खिड़कियों से हवा तेज़ी से अंदर आने लगी, जिससे दरवाज़े और खिड़कियाँ जोर-जोर से बजने लगीं। कमरे की सारी चीज़ें हवा में तैरने लगीं, और गुड़िया की हँसी कमरे में गूँजने लगी। आकाश को पता था कि अब कोई समय नहीं था। उसने रविंद्रनाथ से मिले मंत्रों का जाप करना शुरू किया। प्रिया भी अपनी पूरी हिम्मत जुटाकर हवेली में रखी एक पुरानी तलवार उठा लाई। उसने तलवार को हवा में घुमाते हुए गुड़िया की तरफ वार किया। गुड़िया ने अपनी शक्ति से प्रिया को पीछे धकेल दिया। लेकिन प्रिया ने हार नहीं मानी। उसने फिर से हमला किया।
एक पल के लिए गुड़िया की चमक कम हो गई, और प्रिया ने उस पल का फायदा उठाकर तलवार से गुड़िया को दो टुकड़ों में काट दिया। एक भयानक चीख के साथ, गुड़िया से एक काली छाया निकली, जो हवेली की खिड़की से बाहर निकल गई।
पिंकी की साँसें सामान्य हो गईं। कमरे में शांति हो गई। सब कुछ सामान्य हो चुका था। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई थी।
आकाश और प्रिया ने सोचा कि जिन्न की आत्मा हमेशा के लिए चली गई है, पर उन्हें नहीं पता था कि जिन्न अब आज़ाद था। वह किसी भी गुड़िया में या किसी भी निर्जीव वस्तु में अपना घर बना सकता था। और सबसे बड़ी बात, वह अब हवेली के बाहर, कहीं भी जा सकता था। वह गुड़िया, जिसे पिंकी ने साफ किया था, सिर्फ एक चाबी थी। अब जब जिन्न आज़ाद हो चुका था, वह पहले से भी ज़्यादा शक्तिशाली हो गया था। और वह अपनी शक्ति का प्रयोग करके अब पूरी दुनिया में आतंक मचा सकता था।
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