India-Pakistan War story
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वर्ष 2025 — जब दुनिया तकनीक और शांति के स्वप्न देख रही थी, तब भारतीय उपमहाद्वीप एक बार फिर उस पुरानी दरार से काँप उठा, जिसका नाम था: India-Pakistan War.

मगर यह कोई साधारण युद्ध नहीं था। न इसमें खुले मैदानों में टैंक गरजे, न आकाश में मिसाइलें दौड़ीं। यह एक गुप्त युद्ध था — जहाँ हथियारों से ज़्यादा घातक था झूठ, कपट और प्रचार का ज़हर। पाकिस्तान ने एक बार फिर विश्वसनीयता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना करते हुए भारत की सीमाओं में अराजकता फैलाने की कोशिश की।

मगर इस बार भारत ने जवाब अपने पारंपरिक तरीके से नहीं दिया। इस बार उसका अस्त्र था — सत्य, उसकी रणनीति थी — नैतिकता, और उसकी ताकत थी — वो वीर सिपाही जो हर हाल में धर्म और मर्यादा के पथ पर अडिग रहते हैं।

इस अध्याय की शुरुआत होती है एक मासूम गांव से, एक मासूम बच्ची की मुस्कान से… और वहीं से जन्म लेती है एक ऐसी चिंगारी, जो एक पूरे राष्ट्र को गरिमा और न्याय की आग में तपाकर विजयी बनाएगी।

📖 अध्याय 1: अंधेरों का आरंभ

कभी-कभी दुनिया की सबसे बड़ी जंगें वो होती हैं जो हथियारों से नहीं, विचारों से लड़ी जाती हैं। यह कहानी भी एक ऐसी ही जंग की है—जहाँ भारत अपने सत्य, अपने मूल्यों और अपनी आत्मा की रक्षा के लिए खड़ा होता है, उस समय जब अंधेरा झूठ, धोखा और साज़िश की शक्ल में उसकी सरहदों को लांघने लगता है।

भाग 1: सवेरा जो अशुभ था

कश्मीर की घाटी में वह सुबह आम दिनों जैसी नहीं थी। बर्फीली हवाएं चल रही थीं, मगर मौसम से ज़्यादा मन का मौसम विचलित था। बारामुला के एक छोटे से गांव शालीमारपुरा में लोग अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में लगे थे — कोई गायों को चारा डाल रहा था, तो कोई अपने नन्हे बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारी कर रहा था।

तभी आसमान में एक भयानक सन्नाटा पसर गया।

“अब्बा! देखो, ऊपर कुछ उड़ रहा है!” — सात साल की मासूम सायरा ने आसमान की ओर इशारा किया।

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एक नीले रंग का छोटा ड्रोन बेहद तेज़ी से आसमान से नीचे आ रहा था। किसी को कुछ समझ नहीं आया कि यह क्या है। कुछ ही पलों में वह ड्रोन गांव के बीचोंबीच आकर फट गया।

धांय!!!

एक ज़ोरदार धमाका हुआ। चारों ओर धूल, चीखें, खून और जलती हुई लकड़ियों की बू फैल गई।

छह मासूमों की मौत हो गई — उनमें सायरा भी थी।

भाग 2: सेना की प्रतिक्रिया

दिल्ली, भारत का साउथ ब्लॉक – रक्षा मंत्रालय

मेजर अर्जुन राठौड़, भारतीय सेना के सबसे अनुशासित और संवेदनशील अधिकारियों में से एक, कैप्टन की कुर्सी छोड़कर विशेष रणनीति इकाई (Special Strategic Unit) के प्रमुख बन चुके थे।

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जब बारामुला की घटना की सूचना उन्हें मिली, वे अपनी आँखें बंद कर बैठे रहे। कोई हड़बड़ी नहीं, कोई ग़ुस्सा नहीं — सिर्फ़ एक गहरी साँस।

“सायरा…” उन्होंने धीमे से नाम दोहराया। “उसके जैसे कई और होंगे। अब चुप रहना कायरता है… मगर जवाब वही देना है जो एक सच्चा सिपाही देता है — मर्यादा में रहकर।”

प्रधानमंत्री मीरा देशमुख के विशेष बुलावे पर अर्जुन को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में शामिल किया गया।

“हम जानते हैं कि ये हमला पाकिस्तान के ISI से जुड़ी एक छद्म एजेंसी ने करवाया है। हमें सबूत मिल चुके हैं, लेकिन दुनिया को दिखाना बाकी है।” – प्रधानमंत्री ने कहा।

“हम बदला नहीं, न्याय चाहते हैं,” अर्जुन ने उत्तर दिया। “मगर जो भी करेंगे, खुले आसमान के नीचे और सच्चाई की रोशनी में करेंगे।”

भाग 3: पाकिस्तान की चालें

इस हमले के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान की सरकार ने यह दावा किया कि “भारत खुद अपने नागरिकों के खिलाफ़ साज़िश कर रहा है, ताकि अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति प्राप्त कर सके।”

कर्नल ज़फर कुरैशी, जो ISI की साइबर और स्पेशल ऑप्स विंग का प्रमुख था, इस दुष्प्रचार का मास्टरमाइंड था। उसके पास पैसे थे, पावर था और सबसे बड़ी चीज़ – नैतिकता की कोई परवाह नहीं।

“जब तक भारत अपने सत्य की तलवार से हमें ललकारेगा, हम अपने झूठ की ढाल से जवाब देंगे।” – ज़फर ने कहा, अपने सैनिकों को भड़काते हुए।

मगर इस पूरे युद्ध के बीच एक नन्हा-सा बीज उग रहा था… रफीक

रफीक, जो कभी ISI का एक ईमानदार सिपाही था, अब अंदर ही अंदर अपने देश के झूठ से टूट रहा था। बारामुला के मासूमों की मौत उसके ज़मीर को खा रही थी।

भाग 4: सच्चाई की खोज

भारत में डॉ. अनया शर्मा, एक तेज़-तर्रार और सिद्धांतवादी वैज्ञानिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए ऐसे ड्रोन हमलों की ट्रैकिंग और प्रमाण इकट्ठा करने में लगी हुई थीं।

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“अगर हम यह दिखा सकें कि ड्रोन पाकिस्तान के कराची बेस से लॉन्च हुआ था, तो दुनिया चुप नहीं बैठेगी।” – अनया ने कहा।

अर्जुन और अनया की टीम ने चौबीस घंटे की मेहनत के बाद वो डेटा इकठ्ठा किया — लोकेशन, टाइमस्टैम्प, रेडियो सिग्नल्स — हर चीज़।

भाग 5: अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की हुंकार

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने जब ड्रोन हमले के सबूत पेश किए, तो शुरू में दुनिया चुप थी। मगर जैसे-जैसे वीडियो, रेडियो लॉग्स और सैटेलाइट फुटेज सामने आया, पाकिस्तान की सच्चाई सामने आ गई।

अमेरिका, फ्रांस और जापान ने खुलेआम पाकिस्तान की आलोचना की।

भारत ने एक भी गोली नहीं चलाई थी, लेकिन एक बार फिर ‘शब्दों की युद्ध’ में विजयी रहा।

अंत का आरंभ

अर्जुन ने प्रधानमंत्री से अनुमति मांगी – “अब हमें अपनी सीमाओं के रक्षक बनने से ज़्यादा, न्याय के वाहक बनना है। अनुमति दें कि हम सीमित ऑपरेशन करें – निर्दोषों को बचाते हुए, केवल गुनहगारों को निशाना बनाकर।”

प्रधानमंत्री मीरा ने एक क्षण सोचा, फिर धीरे से सिर हिलाया।

“जाओ अर्जुन, मगर अपने कर्तव्य की मर्यादा कभी न लांघना।”

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👉 अध्याय 2: गुप्तचर और गुप्त रणनीति — इसमें हम देखेंगे कि कैसे अर्जुन और अनया मिलकर दुश्मन के अड्डे का पता लगाते हैं, कैसे रफीक खुद को खतरे में डालकर सच उजागर करता है, और कैसे भारत बिना किसी मासूम को नुकसान पहुँचाए, जवाबी कार्रवाई करता है।

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