छोटे से गांव पिपरपुर में हर घर में एक किस्सा चर्चा में था—रघु काका। 50 साल के रघु काका अपने पुराने धंधे (हलवाई की दुकान) को छोड़कर गांव के पहले “इंटरनेट गुरु” बन गए थे। उनके हाथ में हर समय एक स्मार्टफोन रहता, और वे हर समस्या का हल “गूगल महाराज” पर ढूंढकर लोगों को बताते।
“काका, मेरी भैंस दूध नहीं दे रही!”
“गूगल कहता है कि उसे गुड़ खिलाओ, सब ठीक हो जाएगा।”
“काका, खेत में कीड़े लग गए हैं।”
“गूगल बोलता है, नीम का पानी छिड़को।”
धीरे-धीरे रघु काका पूरे गांव के लिए संकटमोचक बन गए। लेकिन असली मज़ा तो तब शुरू हुआ, जब उनकी गूगल ज्ञान की गाड़ी पटरी से उतरने लगी।
इंटरनेट का पहला चमत्कार
रघु काका ने पहली बार मोबाइल खरीदा था जब उनके बेटे ने शहर से पैसे भेजे थे।
“अब काका बड़े आदमी बन गए हैं,” गांव वालों ने चुटकी ली।
काका ने फोन खरीदने के बाद सबसे पहले “गूगल” का नाम सुना। उन्होंने पूछा,
“अरे, ये गूगल कौन है जो सब जानता है?”
एक हफ्ते तक यूट्यूब वीडियो देखकर और पूछ-पूछकर, काका ने इंटरनेट का इस्तेमाल करना सीख लिया। अब वो हर चीज़ का हल गूगल से निकालने लगे।
एक दिन रामू किसान आया।
“काका, मेरी फसल खराब हो रही है।”
काका ने तुरंत गूगल किया और जवाब दिया, “तू प्याज के छिलके से स्प्रे बना, फसल चमक जाएगी।”
गांव वालों को लगा कि रघु काका वाकई जादूगर हैं।
हर समस्या का जवाब
रघु काका अब हर किसी के लिए “गूगल बाबा” बन चुके थे।
सीता चाची की कढ़ाई में दूध बार-बार फट जाता था। काका बोले, “गूगल कहता है, दूध में थोड़ा बर्फ डाल।”
भोला पहलवान के घुटने में दर्द था। काका ने सलाह दी, “गूगल कहता है, सरसों का तेल और लहसुन गर्म करके लगाओ।”
गांव के लोग उनकी बातें मानते और काका की धाक जमती जा रही थी। लेकिन काका का यह “इंटरनेट ज्ञान” जल्द ही गड़बड़ियों में बदलने वाला था।
काका की गड़बड़ी
एक दिन सोमू काका अपने गंजे सिर का इलाज पूछने आए।
“काका, मेरे सिर पर बाल नहीं आते। गूगल से पूछो।”
रघु काका ने कुछ गड़बड़ ढूंढ लिया।
“गूगल बोलता है, सर पर अंडे फोड़ और उसमें नींबू रगड़। बाल झड़ने बंद हो जाएंगे।”
सोमू काका ने ऐसा ही किया, और अगले दिन गांव के बच्चे उनका मजाक उड़ाने लगे।
“अरे अंडे वाला काका आ गया!”
जब पोल खुली
सबसे बड़ा कांड तब हुआ जब हरिया की भैंस बीमार हो गई।
“काका, मेरी भैंस का दूध रुक गया है, कुछ करो।”
रघु काका ने तुरंत गूगल पर सर्च किया और बोले, “गूगल बोलता है, भैंस को कोल्ड ड्रिंक पिला।”
हरिया ने सलाह मान ली। भैंस ने कोल्ड ड्रिंक पीते ही बग़ावत कर दी—वो पूरे गांव में दौड़ने लगी और हर कोई उसे काबू करने में जुट गया।
गांव के सरपंच ने रघु काका को बुलाया और गुस्से में कहा,
“काका, तुम्हारा गूगल सबका बेड़ा गर्क कर देगा। तुमने भैंस को कोल्ड ड्रिंक क्यों पिलाने को कहा?”
काका ने धीमे से जवाब दिया, “गूगल यही कहता है, सरपंच जी!”
काका की समझदारी
गांव वालों ने एक मीटिंग बुलाई और सबने काका की जमकर खिंचाई की।
“तुम्हारा गूगल ज्ञान हमें बर्बाद कर रहा है।”
“तुम्हें बिना सोचे-समझे सलाह देना बंद करना चाहिए।”
रघु काका को अपनी गलती का एहसास हुआ।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “सच में, मैंने इंटरनेट को भगवान मान लिया था। लेकिन असली ज्ञान दिमाग और तजुर्बे से आता है, सिर्फ गूगल से नहीं।”
उस दिन के बाद, रघु काका ने अपनी हलवाई की दुकान फिर से खोल ली। अब वह गांव वालों को सिर्फ मिठाई बेचते थे और सलाह तभी देते थे, जब उन्हें खुद पर पूरा भरोसा होता।
कहानी की सीख:
“तकनीक मदद कर सकती है, लेकिन दिमाग और समझदारी हमेशा इंसान के सबसे बड़े गुरु होते हैं।”
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