उत्तर भारत के एक छोटे से गाँव धरमपुरा में हर रात कुछ रहस्यमयी घटनाएँ घट रही थीं। कभी पेड़ों पर अजीब आकृतियाँ दिखतीं, तो कभी हवा में अनजानी फुसफुसाहटें सुनाई देतीं। सबसे डरावनी बात यह थी कि गाँव के लोग अचानक गायब हो रहे थे। यह सब गाँव वालों के लिए किसी भयावह अभिशाप से कम नहीं था।
गाँव के बुजुर्गों का मानना था कि यह अघोरी का श्राप था, जो बरसों पहले एक पवित्र पीपल के पेड़ के नीचे हुई एक भयावह घटना के कारण लगा था। कहते हैं, कुछ लालची लोगों ने साधना में लीन एक अघोरी को बेरहमी से मार दिया था। मरते-मरते उसने आखिरी चेतावनी दी थी—
“यह गाँव अब मेरे श्राप से बंध चुका है। जो भी सच्चाई जानने की कोशिश करेगा, उसे अंधेरा अपने अंदर समा लेगा।”
तब से आज तक, इस गाँव में अंधेरा गहराता जा रहा था, और हर कोई इस रहस्य से अनजान था।
गाँव की हर पीढ़ी ने इस श्राप को झेला। लोग भगवान पर भरोसा रखते थे, लेकिन अब डर उनके विश्वास पर भारी पड़ने लगा था।
अध्याय 1: रहस्यमयी शक्ति वाली लड़की
गाँव में एक 22 साल की लड़की थी, अहाना। उसके माता-पिता की बचपन में ही मौत हो गई थी, और उसे उसकी नानी ने पाला था। अहाना बचपन से ही बाकी लोगों से अलग थी। उसे ऐसी चीजें महसूस होती थीं, जो दूसरों को दिखाई नहीं देती थीं। वह अक्सर मंदिर में बैठकर घंटों तक ध्यान करती, और यह कहा जाता था कि भगवान ने उसे एक दिव्य दृष्टि दी है।

“अहाना, इस गाँव में मत रहो। यह जगह श्रापित है,” उसकी नानी हमेशा कहती थी।
लेकिन अहाना कभी डरती नहीं थी। वह जानती थी कि उसकी ताकतें उसे किसी भी अंधेरे से लड़ने में मदद करेंगी।
एक रात, जब पूरा गाँव सो रहा था, अहाना ने अपने घर की खिड़की से पीपल के पेड़ के पास अजीब हरकत देखी। वहाँ एक काली आकृति बैठी थी। उसकी आँखें लाल थीं, और उसकी लंबी, सूखी उँगलियाँ ज़मीन पर कुछ खरोंच रही थीं।
अचानक, वह आकृति हवा में गायब हो गई। लेकिन जाते-जाते वह एक भयानक आवाज़ में बोली:
“सच मत जानना, वरना वही अंजाम होगा जो तुम्हारे माँ-बाप का हुआ।”
अध्याय 2: डर का खेल शुरू
अगले दिन, गाँव में एक आदमी रामू गायब हो गया। उसकी पत्नी ने बताया कि उसने रामू को आधी रात को घर से बाहर निकलते देखा था, जैसे कोई उसे बुला रहा हो। उसकी आँखें जैसे खोई हुई थीं।

गाँव वाले इकठ्ठा हुए और मंदिर के पुजारी को बुलाया। पुजारी ने कहा, “यह श्राप अब चरम पर पहुँच गया है। हमें इस अभिशाप को रोकने के लिए कोई उपाय करना होगा।”
अहाना ने साहस दिखाते हुए कहा, “मैं पीपल के पेड़ के पास जाऊँगी। हमें पता लगाना होगा कि इस अंधेरे का कारण क्या है।”
गाँव वालों ने डर से मना किया, लेकिन अहाना ने उनकी एक न सुनी।
अध्याय 3: अघोरी का अभिशप्त स्थान
अहाना रात के 12 बजे अकेली पीपल के पेड़ के पास पहुँची। हवा में ठंड थी, लेकिन पेड़ के पास पहुँचते ही उसे ऐसा लगा जैसे आसपास की हवा भारी हो गई हो।
जैसे ही उसने पेड़ को छुआ, अचानक ज़मीन पर लाल रंग के चिह्न उभरने लगे। चिह्न ऐसे थे जैसे किसी तंत्र साधना के लिए बनाए गए हों।

“तू वापस चली जा, लड़की,” एक कर्कश आवाज़ गूँजी।
अहाना ने चारों तरफ देखा, लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया।
अचानक, पेड़ की छाँव से एक अघोरी की आत्मा प्रकट हुई। उसकी आँखें आग जैसी लाल थीं, और उसकी चोटी ज़मीन तक लटक रही थी।
“कौन है तू, जो मेरे श्राप को तोड़ने की कोशिश कर रही है?” आत्मा ने चीखते हुए कहा।
अहाना ने साहसपूर्वक जवाब दिया, “मैं इस अंधकार को खत्म करने आई हूँ। तेरा श्राप अब इस गाँव को और नहीं सताएगा।”
अघोरी ने हँसते हुए कहा, “तुझे लगता है कि तू मुझसे लड़ सकती है? मैं तेरे जैसे सैकड़ों को खा चुका हूँ। तेरे माँ-बाप भी यही समझते थे। और उनका क्या हुआ?”
अध्याय 4: भयानक संघर्ष
अघोरी की आत्मा ने अचानक हवा में लहराते हुए एक तेज़ चीख मारी। पेड़ की जड़ें ज़मीन से निकलकर साँपों में बदल गईं और अहाना की ओर बढ़ने लगीं।

अहाना ने अपनी नानी से सीखा हुआ एक प्राचीन मंत्र याद किया। उसने अपनी आँखें बंद कीं और जोर से मंत्र पढ़ना शुरू किया:
“ॐ नमः शम्भवाय, सर्व भय हराय।”
जैसे ही उसने मंत्र पढ़ा, उसकी कलाई में बंधा तुलसी का कड़ा चमकने लगा। काले साँपों की आकृतियाँ धीरे-धीरे पीछे हटने लगीं।
अघोरी ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, “यह तेरा मंत्र मुझे नहीं रोक सकता। मैं अंधकार का राजा हूँ!”
अचानक, उसने हवा में एक भूतिया खंजर प्रकट किया और अहाना की ओर फेंका। अहाना ने अपनी कलाई का कड़ा खंजर की ओर किया, और एक तेज़ रोशनी निकली, जिसने खंजर को हवा में रोक दिया।
“तूने बहुत गलत लोगों से लड़ाई छेड़ ली है,” अहाना ने कहा।
अध्याय 5: सच्चाई का उजाला

अघोरी ने अपना सबसे भयानक रूप धारण किया। उसका शरीर विशाल हो गया, और उसकी हड्डियाँ बाहर झाँकने लगीं।
अहाना ने महसूस किया कि उसे अघोरी की आत्मा को मुक्त करना होगा, वरना वह कभी नहीं रुकेगा।
उसने पीपल के पेड़ के नीचे बनी तंत्र मंडली को तोड़ने का फैसला किया। लेकिन जैसे ही उसने पहली लकीर को मिटाया, अघोरी ने जोर से चिल्लाते हुए कहा:
“नहीं! इसे मत तोड़, वरना तू और तेरा गाँव खत्म हो जाएगा!”
अहाना ने कहा, “झूठे अभिशाप के पीछे तेरा स्वार्थ छुपा है। अब तेरा अंत होगा।”
उसने पूरा मंत्र पढ़ा और आखिरी चिह्न मिटा दिया। पेड़ के नीचे से तेज़ रोशनी निकली, और अघोरी की आत्मा दर्दनाक चीख के साथ हवा में गायब हो गई।
अध्याय 6: श्राप का अंत
अघोरी की आत्मा के जाते ही गाँव में एक नई सुबह हुई। डर और अंधकार की जगह शांति और उजाले ने ले ली।

गाँव के लोग अहाना को धन्यवाद देने आए। लेकिन अहाना ने कहा, “यह भगवान की शक्ति और हमारी आस्था का नतीजा है।”
उपसंहार: साहसी लड़की का नाम
अहाना ने दिखा दिया कि साहस और सच्चाई की ताकत से किसी भी अंधकार को हराया जा सकता है।
अहाना ने गांव वालों की उस अघोरी की आत्मा से रक्षा की इसलिए उन्होंने उसे एक नया नाम दिया
“रक्षिका”
अहाना जानती थी कि यह उसकी अंतिम लड़ाई नहीं थी। दुनिया में और भी अंधकार था, जिसे उसे खत्म करना था।
“डर एक भ्रम है। लेकिन हिम्मत और विश्वास से हर अंधकार मिटाया जा सकता है,” उसने अपने आप से कहा।
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