हनुमान की प्रतिज्ञा –  A Hanuman Jayanti Special

हनुमान की प्रतिज्ञा – A Hanuman Jayanti Special

1 0
Read Time:7 Minute, 30 Second

हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) के पावन अवसर पर प्रस्तुत है एक विशेष कथा – “हनुमान की प्रतिज्ञा”। यह एक युवा बालक अर्जुन की यात्रा है, जो एक साधारण भक्त से भगवान हनुमान के दिव्य रहस्यों का संरक्षक बनता है। कहानी में पौराणिक काल, रहस्य, राक्षसी शक्तियाँ और आत्मिक शक्ति का अनोखा संगम है। यह कथा न केवल भक्ति और साहस की मिसाल है, बल्कि आज के युग में भगवान हनुमान की प्रासंगिकता को भी दर्शाती है।

यदि आप उन कहानियों के प्रेमी हैं जो आध्यात्मिकता, रहस्य और वीरता से ओतप्रोत हैं, तो “हनुमान की प्रतिज्ञा” आपके मन को छू जाएगी। हर अध्याय के साथ खुलेंगे वो रहस्य जो कभी सिर्फ ऋषियों और योगियों को ज्ञात थे…

अध्याय 1: हनुमान जयंती की रात

हनुमान जयंती की रात थी। मंदिरों में रामधुन गूंज रही थी। छोटे से गाँव “नरहरिपुर” में अर्जुन नाम का एक युवा लड़का अपने दादा के साथ हनुमान मंदिर में बैठा था। बाल्यकाल से ही अर्जुन को हनुमान जी में विशेष आस्था थी। पर उस रात कुछ अलग हुआ।

जब सब लोग भजन में मग्न थे, अर्जुन की नज़र मंदिर के कोने में खड़े एक वृद्ध साधु पर पड़ी। वह साधु उसे लगातार देखे जा रहा था। भजन समाप्त होने के बाद साधु ने इशारे से अर्जुन को बुलाया और बोला, “तू ही है जिसे चुना गया है। हनुमान की भूली हुई प्रतिज्ञा तुझे पूरी करनी है।”

अर्जुन हक्का-बक्का रह गया। साधु ने उसे एक पुरानी गुफा का पता दिया – “सूर्यास्त से पहले उस गुफा तक पहुँचना। वहाँ हनुमान जी की असली परीक्षा शुरू होगी।”


अध्याय 2: गुप्त गुफा का रहस्य

अगले दिन, अर्जुन साधु द्वारा बताए गए स्थान पर पहुँचा। एक वीरान पहाड़ी पर स्थित वह गुफा रहस्यमयी ऊर्जा से भरी थी। जैसे ही अर्जुन भीतर गया, गुफा दीप्त हो उठी। वहां एक प्राचीन मूर्ति थी – हनुमान जी की एक रूप में जिसे कभी किसी ने नहीं देखा था: आँखें बंद, हाथ में अग्नि और पैरों के पास एक ताले में बंद पांडुलिपि।

अर्जुन ने जैसे ही मूर्ति को स्पर्श किया, साधु की आवाज गूंजी – “यह हनुमान की प्रतिज्ञा है – उन्होंने त्रेता युग में वचन दिया था कि जब रावण का वंश फिर से उठेगा, वे लौटेंगे। अब समय आ गया है।”


अध्याय 3: अतीत की परछाइयाँ

साधु ने अर्जुन को हनुमान जी और रावण की एक गुप्त घटना बताई, जो कहीं नहीं लिखी गई। रावण का एक पुत्र “वज्रदंत” हनुमान से हारकर पाताल में छिप गया था, लेकिन उसने प्रतिज्ञा की थी कि जब कोई मानव रामभक्त की तरह बलवान होगा, तभी वह लौटेगा – क्योंकि वही उसकी शक्ति का स्रोत बनेगा।

अब वज्रदंत जाग चुका था… और अर्जुन ही उसका लक्ष्य था।


अध्याय 4: वज्रदंत का उदय

उसी रात अर्जुन को सपना आया – एक अंधेरा जंगल, बीच में अग्निकुंड और उसमें से निकलता भयंकर राक्षस – वज्रदंत। उसकी आँखों में आग थी, और वह चिल्लाया, “अब तेरा अन्त है, रामभक्त! तुझे हनुमान की भक्ति की कीमत चुकानी होगी।”

अर्जुन डर के मारे उठ बैठा। साधु ने बताया कि यह सपना नहीं, चेतावनी है। उसे अब हनुमान की भक्ति को आत्मसात करना होगा – शक्ति, साहस और सेवा की राह पर चलना होगा।


अध्याय 5: रामनाम की महिमा

अर्जुन ने गाँव के पास के पुराने आश्रम में तपस्या शुरू की। उसने हनुमान चालीसा का पाठ, सेवा कार्य और ध्यान में समय बिताया। एक रात, जब वह हनुमान चालीसा पढ़ रहा था, अचानक उसके सामने हनुमान जी प्रकट हुए – विराट रूप में।

हनुमान बोले, “अर्जुन, तू अब तैयार है। पर याद रख, केवल बल नहीं, भाव से ही राक्षस को हराया जा सकता है। रामनाम ही तेरा सबसे बड़ा अस्त्र है।”


अध्याय 6: अंतिम युद्ध

वज्रदंत ने गाँव पर हमला कर दिया। लोग भयभीत हो गए। अर्जुन अकेले खड़ा हुआ – रामनाम का जाप करते हुए। जैसे ही उसने “जय श्री राम!” कहा, हनुमान जी उसके भीतर समा गए। अर्जुन की आँखें लाल हो गईं, शरीर में अद्भुत तेज आ गया।

भीषण युद्ध हुआ। अर्जुन और वज्रदंत में टकराव से आकाश कांप उठा। अंततः अर्जुन ने रामनाम की शक्ति से उसे परास्त कर दिया।


अध्याय 7: नवयुग की शुरुआत

युद्ध के बाद गाँव में शांति लौट आई। साधु ने अर्जुन को आशीर्वाद दिया और बोला, “हनुमान अब तेरे भीतर हैं। इस युग को तेरे जैसे रामभक्तों की ज़रूरत है।”

हनुमान जयंती के दिन, अर्जुन ने गाँव में एक नया मंदिर बनवाया – जिसमें हनुमान जी की मूर्ति के नीचे लिखा था:

“जहाँ रामनाम है, वहाँ हनुमान हैं। जहाँ भक्ति है, वहीं विजय है।”

क्या आपको यह कहानी पसंद आई? कमेंट में बताइए! 😊

अगर किसी विषय/टॉपिक पे कहानी चाहते हैं तो हमे जरूर बतायें। और शार्ट और मोटिवेशनल कहानियों क लिए हमें इंस्टाग्राम और फेसबुक पे फॉलो करें –

https://www.instagram.com/kissekahani.in

https://www.facebook.com/kissekahani25

और भी कहानियां पढ़ें।

शहर छोड़कर… सुकून की ओर (Shehar Chhodkar… Sukoon Ki Ore)

🔱 नवरात्रि(Navratri): शक्ति की सच्ची साधना 🔱

ईद (Eid) की वो आख़िरी दुआ

🏏 IPL 2024: जब सपनों ने छक्का मारा!

वक्त की सैर: महिला दिवस (Women’s Day) पर एक अद्भुत यात्रा

रंगों की वो आखिरी होली

बस में मिला एक पुराना नोटबुक

चाय की दुकान

अनजानी मुस्कान का सफ़र

अधूरी पेंटिंग का रहस्य

मोती की घर वापसी

गांव के गूगल बाबा

रुद्रपुर का रहस्य

AI और इंसान का संघर्ष

सोशल मीडिया ब्रेकअप

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *